जंतर मंतर पर बैठी महिला पहलवानों का संघर्ष मामूली संघर्ष नहीं है। ये वो तबका है जो कभी सड़क पर निकलकर आंदोलन नहीं करता। इसलिए यह जरूरी है कि भारतीय समाज का हर तबका इस आंदोलन से जुड़े, इन्हें समर्थन दे। वो ऐसा क्यों करें, इसी बात को बता रहे हैं पत्रकार, लेखक और चिन्तक अपूर्वानंद अपने साप्ताहिक कालम में सिर्फ सत्य हिन्दी परः