राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद, भारतीय जनता पार्टी के लिए अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण असली मुद्दा नहीं था, असली मुद्दा था, इसी बहाने केंद्र की सत्ता पर कब्जा करना।
बीजेपी के अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह क्यों कहते हैं कि इतिहास को फिर से लिखे जाने की ज़रूरत है? क्या वे इतिहास तथ्यों के आधार लिखवाना चाहते हैं या अपनी मनमर्जी से?
क्या बीजेपी और नरेंद्र मोदी सरकार देश की तमाम पार्टियों को ख़त्म करने की कोशिश में है? क्या उसकी कोशिश यह है कि पूरे देश में एक ही दल का शासन हो? सत्य हिन्दी के ख़ास कार्यक्रम 'आशुतोष की बात' में देखिए वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का विश्लेषण।
अमित शाह क्या गृह मंत्री के साथ बीजेपी अध्यक्ष के पद पर भी बने रहेंगे? इसे लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं। शाह के और 6 महीने तक अध्यक्ष बने रहने की संभावना है।
नई सरकार 30 मई को शपथ लेने जा रही है और इस सरकार में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हो सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि अब बीजेपी का अगला अध्यक्ष कौन होगा?
बीजेपी लोकसभा चुनाव जीतने के हर हथकंडे आजमा रही है, जिसमें से एक पिछड़े वर्ग को विभाजित कर उसके एक तबक़े का वोट खींचना भी शामिल है। तो क्या इन जातियों को वह खींच पाएगी?
यूपी के जातीय चक्रव्यूह में फँसी बीजेपी के लिए सहारा ग़ैर-यादव पिछड़े और ग़ैर-जाटव दलित नज़र आ रहे हैं। हालाँकि इस बिरादरी के चेहरे इस बार या तो नज़र नहीं आ रहे या उन्हें तवज्जो तक नहीं मिल रही।
हिन्दी फ़िल्मों में कभी देशभक्ति के प्रतीक के तौर पर माने जाने वाले सनी देओल ने अब राजनीति में एंट्री कर ली है। तो क्या राजनीति में भी उनकी ऐसी 'देशभक्ति' बरक़रार रहेगी? क्या बीजेपी की देशभक्ति से उनका टकराव तो नहीं होगा?
बीजेपी ने तो साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को यह सोच कर मैदान में उतारा था कि वह दिग्विजय सिंह को घेर लेंगी। पर हेमंत करकरे पर दिए बयान की वजह से अब खुद बीजेपी घिर गई है।
क्या बीजेपी के पास सरकार की विफलताओं और पार्टी के 2014 के वायदों की नाकामी से बचने का कोई रास्ता नहीं है। क्या पुलवामा और बालाकोट की घटनाओं से भी पार्टी को नया रास्ता नहीं मिला?
लोकसभा चुनाव के 18 अप्रैल को होने वाले दूसरे चरण के मतदान के लिए आज चुनाव प्रचार का आख़िरी दिन है। इस चरण में 13 राज्यों की 97 लोकसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएँगे।