क्या खुद को शक्तिशाली बनाने के चक्कर में नरेंद्र मोदी बीजेपी को कमज़ोर कर रहे हैं? क्या उन्होंने जनाधार वाले क्षेत्रीय नेताओं को बौना बना दिया है? क्या अब मोदी ही बीजेपी हैं? पार्टी की सांगठनिक गतिविधियाँ ठप क्यों हैं? एक व्यक्ति पर निर्भर होने और क्षत्रपों के कमज़ोर होने से राजनीतिक दल के रूप में बीजेपी का भविष्य क्या होगा?