बिहार में कोरोना के 6,355 मामले आ चुके हैं, बढ़ते ही जा रहे हैं, पर सरकार क्वरेन्टाइन केंद्र बंद कर रही है, उसका कहना है, इसकी ज़रूरत अब नहीं रही। क्या वाकई बिहार में क्वरेन्टाइन करने की ज़रूरत नहीं है? क्यों बिहार इस महामारी में आग से खेल रहा है? क्यों सरकार लोगों की जान की परवाह नहीं कर रही है? सत्य हिन्दी पर देखें प्रमोद मल्लिक का विश्लेषण।
बिहार में जब कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है, मौतें हो रही हैं, लाखों प्रवासी मज़दूर अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं, राजनीतिक दल चुनाव प्रचार में कूद चुके हैं। बीजेपी ने ऑनलाइन रैली की, जिसे अमित शाह ने संबोधित किया। क्या है मामला? सत्य हिन्दी पर देखें प्रमोद मल्लिक का विश्लेषण।
अब तक कम कोरोना मामले वाले बिहार में संक्रमित लोगों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। घर लौट रहे प्रवासी मज़दूरों में से 26 प्रतिशत में संक्रमण पाया जा रहा है।
क्या बिहार, उत्तर प्रदेश और असम कोरोना संकट से कामयाबी से लड़ सकते हैं? ये वो राज्य हैं जहाँ आइसोलेशन बेड, आईसीयू बेड, वेंटिलेटर जैसी बुनियादी मेडिकल उपकरणों की बेहद कमी है!
क्या राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव का अपने कार्यकर्ताओं पर कोई नियंत्रण नहीं है? यह सवाल इसलिए पूछा जा रहा है कि नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ शनिवार को हुए बिहार बंद के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। जब आरजेडी के लोग हिंसा कर रहे थे, कहाँ थे पार्टी के केंद्रीय नेता? सत्य हिन्दी पर देखें प्रमोद मल्लिक का विश्लेषण।
राष्ट्रीय जनता दल की अपील पर शनिवार को हुए बिहार बंद के दौरान ज़बरदस्त हिंसा हुई है। कम से कम 11 लोग घायल हुए हैं, जिन्हें पटना के अस्पतालों में दाखिल कराया गया है।