रामनवमी पर बिहार में हुई हिंसा कई मायने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीति को प्रभावित करेगी। अगर वो इसे संभाल नहीं पाए तो इसका नुकसान उन्हें जरूर होगा। यह चिन्ताजनक है कि बिहार में जहां-जहां दंगे हुए, वहां पुलिस ने कार्रवाई करने में निष्क्रियता बरती।
बिहार के उस यूट्यूबर पत्रकार मनीष कश्यप को आज गिरफ्तार कर लिया गया, जिस पर बिहार के मजदूरों को तमिलनाडु में मारे जाने का फर्जी वीडियो बनाने का आरोप है। उसके फर्जी वीडियो को बीजेपी के नेताओं ने काफी हवा दी थी। बाद में पूरे मामले को फर्जी पाया गया। तमिलनाडु और बिहार में उस पर कई एफआईआर दर्ज की गई हैं।
तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों के खिलाफ हिंसा की खबरें बिहार के अखबारों ने उछाली। जिम्मेदार संपादकों ने मात्र एक वीडियो के आधार पर सारी फेक न्यूज परोस दी। बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की। लेकिन जब सच सामने आया तो बीजेपी अब बैकफुट पर है।
बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने एक बयान में खुद को चोरों का सरदार कहा था। मंगलवार 13 सितंबर को उन्होंने कहा कि वो अपने पिछले बयान पर कायम हैं। लेकिन सुधाकर सिंह ने यह बयान क्यों दिया था। जानिए पूरी बात।
नीतीश कुमार ने विश्वास प्रस्ताव जीता। बीजेपी ने सदन से वॉक आउट किया। लेकिन कहानी यहां खत्म हुई या शुरू? बिहार में क्या गुल खिलाएगी सीबीआई? आलोक जोशी के साथ सतीश के सिंह और समी अहमद
बिहार में अग्निपथ योजना का विरोध फिर शुरू हो गया है। विपक्षी दलों ने सोमवार को विधानसभा के अंदर-बाहर प्रदर्शन किया। युवक भी विधानसभा घेरने की तैयारी कर रहे हैं।
घूसखोरी की भी हद होती है! बेटा लापता हुआ और जब शव मिला तो उसे सौंपने के लिए कथित तौर पर 50 हज़ार की घूस मांगी गई। वह भी ऐसे माता-पिता से जिनको भीख मांगनी पड़ी! क्या इंसानियत मर गई?
नीतीश ने 16 साल में बिहार का क्या किया? नीति आयोग की रिपोर्ट में वह सबसे पिछड़ा राज्य क्यों है? मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं-एन. के. सिंह, एन. आर. मोहंती, शैलेश, अनिल सिन्हा, समी अहमद
डबल इंजन की सरकार वाले बिहार और यूपी नीति आयोग की रिपोर्ट में फिसड्डी। ट्विटर ने सरकार की नहीं सुनी, कार्टूनिस्ट मंजुल के ख़िलाफ़ नहीं की कार्रवाई । देखिए दिनभर की बड़ी ख़बरों का विश्लेषण-
बिहार में कोरोना के 6,355 मामले आ चुके हैं, बढ़ते ही जा रहे हैं, पर सरकार क्वरेन्टाइन केंद्र बंद कर रही है, उसका कहना है, इसकी ज़रूरत अब नहीं रही। क्या वाकई बिहार में क्वरेन्टाइन करने की ज़रूरत नहीं है? क्यों बिहार इस महामारी में आग से खेल रहा है? क्यों सरकार लोगों की जान की परवाह नहीं कर रही है? सत्य हिन्दी पर देखें प्रमोद मल्लिक का विश्लेषण।
बिहार में जब कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है, मौतें हो रही हैं, लाखों प्रवासी मज़दूर अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं, राजनीतिक दल चुनाव प्रचार में कूद चुके हैं। बीजेपी ने ऑनलाइन रैली की, जिसे अमित शाह ने संबोधित किया। क्या है मामला? सत्य हिन्दी पर देखें प्रमोद मल्लिक का विश्लेषण।