बिहार में छुट्टियों का दो कैलेंडर जारी किया गया है। पहले वाले जिस कैलेंडर में हिंदू त्योहारों पर छुट्टियाँ कम करने व मुस्लिमों के बढ़ाने के आरोप लग रहे थे, वह उर्दू स्कूलों के लिए है। तो आख़िर इस कैलेंडर के नाम पर नफ़रत किसने फैलाई?
बिहार में शिक्षा की स्थिति ख़राब होने की रिपोर्टें आती रही हैं और अब स्कूलों में सुधार के नाम पर क़रीब 20 लाख बच्चों के नाम काट दिए गए। जानें ये बच्चे कौन और क्या वजह बताई गई।
बिहार में मुसलिम लड़कियों की शिक्षा में कम भागीदारी क्यों है? जो सरकारी स्कूलों में जाती भी हैं उनमें से कई ऐसी हैं जो पाँचवीं कक्षा में होने के बावजूद सही से नाम तक नहीं लिख पाती हैं? ऐसा क्यों है और सरकारी मदद क्यों नहीं मिली?
बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था की खामियाँ लगातार उजागर होती रही हैं। नीतीश कुमार सुशासन लाने का ढोल पीटते रहे हैं, लेकिन इस मोर्चे पर सरकार की विफलता क्या चुनाव पर कोई असर डालेगी?