बिहार में दूसरे दौर का मतदान । कौन मारेगा बाज़ी नीतीश या तेजस्वी ? आशुतोष के साथ चर्चा में मनीषा प्रियम, कन्हैया भेलारी, समी अहमद, सतीश के सिंह, आलोक जोशी ।Satya Hindi
बिहार के चुनाव में 10 लाख नौकरियों का नाम क्या आया, राजनीति का रंग बदल गया। पहले तो जमकर हीला हवाली हुई, मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री दोनों ने दलील दी कि राज्य सरकार के पास इतने लोगों को वेतन देने का भी पैसा नहीं है।
बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 94 सीटों पर होने वाले मतदान के लिए चुनाव प्रचार रविवार शाम ख़त्म हो गया। राज्य के 17 ज़िलों में स्थित इन सीटों पर मतदान 3 दिसंबर यानी मंगलवार को होगा।
नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ इस समय एक ज़बरदस्त माहौल है। नीतीश को देश में ग़ैर-कांग्रेसी और ग़ैर-भाजपाई विपक्ष के किसी संभावित गठबंधन के लिहाज़ से क्या कमज़ोर होते देखना ठीक होगा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय जनता दल, लालू प्रसाद यादव या तेजस्वी यादव का नाम लिए बग़ैर एक बार फिर उनके परिवार पर हमला बोला है और ज़ोर देकर कहा है कि ये सिर्फ़ अपने परिवार के बारे में ही सोचते हैं, उन्हें बिहार की जनता से कोई मतलब नहीं है।
बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में सबसे अधिक 94 सीटों पर तीन नवंबर को मतदान होना है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जदयू के लिए सबसे महत्वपूर्ण चरण माना जा रहा है क्योंकि इसमें उसकी सबसे अधिक जीती हुई सीटें हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री को शायद समझ में नहीं आया कि लम्बे समय तक शासन में रहने के अपरिहार्य दोष के रूप में पैदा हुए सामंती अहंकार का विस्तार लोकप्रियता के उल्टे अनुपात में होता है।
बिहार की चुनावी जंग में आरजेडी का समर्थन करते हुए शिव सेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि उन्हें इस बात पर कोई हैरानी नहीं होगी अगर तेजस्वी यादव राज्य के मुख्यमंत्री बनते हैं।
नौकरियों के वादे को बोगस बताकर नीतीश ने क्या एक और ग़लती नहीं कर ली है? क्या जेडीयू और बीजेपी दोनों को इससे नुक़सान नहीं होगा? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
विदेशों में नौकरी करने वाले लोगों के कारण आस-पास के इलाक़ों में तरक्क़ीयाफ्ता और खुशहाल समझे जाने वाले बिहार के कई गाँव आजकल भीषण बेरोज़गारी की गिरफ़्त में हैं।
जिन लोगों ने भी नीतीश-मोदी और जेडीयू-बीजेपी की सियासत को देखा-समझा है, वे नीतीश के वोट मांगने के इस अंदाज को देखकर चकित हैं, मगर यही चौंकाने वाला फैक्टर बिहार की सियासत के बदले हुए मिजाज का सबूत भी है।