कन्याकुमारी से कश्मीर तक की भारत जोड़ो यात्रा क्या राहुल गाँधी की इमेज को बदल पाएगी? क्या ये यात्रा काँग्रेस के अंदर राहुल गाँधी की स्वीकार्यता बढ़ा पाएगी? क्या वे नरेंद्र मोदी के सामने मुख्य चैलेंजर के तौर पर उभर पाएंगे? अगर यात्रा सफल हुई तो क्या विरोध करने वाले दूसरे विपक्षी दलों को भी उन्हें स्वीकारना पड़ जाएगा? क्या ये यात्रा काँग्रेस को एक बड़ी लड़ाई के लिए तैयार कर पाएगी?