Satya Hindi news Bulletin सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन । भारतीय मूल की निक्की हेली लड़ेंगी अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव । दिल्ली, मुंबई में BBC कार्यालय पर Income Tax के छापे
बीबीसी के दफ्तर पर छापा पड़ा है आयकर विभाग का. इसे लेकर राजनीतिक दलों से लेकर मीडिया संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है. अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी यह मामला अब और तूल पकड़ सकता है. माना जा रहा है कि इस सबके पीछे बीबीसी की डाक्यूमेंट्री है. आज की जनादेश चर्चा.
बीबीसी के आफिस में आयकर के अधिकारी । घंटों चला सर्वे । गुजरात फ़िल्म की सजा या टैक्स चोरी? आशुतोष के साथ चर्चा में राहुल देव, शिवकांत शर्मा, अरविंद सिंह, गुरदीप सप्पल
बीबीसी के दफ्तरों पर इनकम टैक्स के छापे। बीबीसी पर टैक्स चोरी का आरोप। बीजेपी प्रवक्ताओँ ने बीबीसी पर आरोपों की झड़ी लगाई। क्या यह मोदी पर डॉक्यूमेंटरी का बदला है? या मोदी सरकार मीडिया को दबाने की कोशिश कर रही है? आलोक जोशी के साथ शिवकांत शर्मा, निधीश त्यागी, वेद जैन और राजीव रंजन सिंह।
क्या मोदी सरकार ने बीबीसी के दफ़्तरों में इनकम टैक्स के छापे बदला लेने के लिए डलवाए? क्या गुजरात दंगों पर बीबीसी की डाक्यूमेंट्री से मोदी इतने ख़फ़ा हैं कि उन्होंने एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान पर हमला बोल दिया? इस हमले से अंतरराष्ट्रीय मीडिया डर जाएगा या फिर वह मोदी को सबक सिखाने में जुट जाएगा?
प्रधानमंत्री मोदी पर बनाई गई डॉक्यूमेंट्री के लिए चर्चा में रहे बीबीसी के कार्यालयों पर आयकर विभाग की कार्रवाई पर जानिए प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया ने क्या प्रतिक्रिया दी है।
बीबीसी के दिल्ली और मुंबई के कार्यालयों में छापे पर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। जानिए, उन्होंने इस कार्रवाई को क्या कहकर आलोचना की है।
भारत में बीबीसी के दफ्तरों पर किए गए आयकर सर्वे पर विदेशी मीडिया तीखी प्रतिक्रिया दे रहा है। उसका कहना है कि गुजरात जनसंहार 2002 पर बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की वजह से सर्वे किए गए।
आयकर विभाग ने आख़िर क्यों दिल्ली में बीबीसी कार्यालय का सर्वे क्यों किया? क्या टैक्स से जुड़े किसी मामले में हेरफेर का संदेह है? आख़िर यह कार्रवाई क्यों की गई?
गुजरात नरसंहार पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर बैन का फ़ैसला क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उल्टा पड़ गया है? क्या बैन की वज़ह से अंतरराष्ट्रीय जगत में मोदी की छवि को गहरा धक्का लगा है? क्या बैन न लगता तो न तो ये डाक्यूमेंट्री को ज़्यादा देखा जाता और न ही इसकी इतनी चर्चा होती? क्या मोदी को अब इस बैन को वापस ले लेना चाहिए?