अयोध्या मामले में आज ज़बरदस्त हंगामे और हाई वोल्टेज कोर्ट रूम ड्रामा के साथ सुनवाई पूरी हो गई। संभावना है कि 17 नवंबर से पहले इस पर फ़ैसला आ जाएगा। पढ़िए हिंदू और मुसलिम पक्ष ने क्या रखी हैं दलीलें।
अयोध्या विवाद को लेकर एकाएक हलचल तेज़ हो गई है। अयोध्या में धारा 144 लागू की गई है। यह ऐसे समय में हुआ है जब सुप्रीम कोर्ट में आख़िरी दौर की सुनवाई चल रही है।
क्या बाबरी मसजिद से पहले वहाँ मंदिर था? क्या मुगल शासक बाबर ने किसी मंदिर को ध्वस्त कर वहाँ बाबरी मसजिद बनवायी थी? एएसआई के एक पूर्व अधिकारी क्यों कहते हैं कि पहले मंदिर था।
यह विवाद का विषय रहा कि भगवान राम का जन्म किस जगह पर हुआ है। क्या वह वहाँ पैदा हुए जहाँ बाबरी मसजिद है या कहीं और? क्या सुन्नी वक्फ बोर्ड के रवैये में बदलाव आ रहा है?
सुप्रीम कोर्ट की पाँच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा है कि हर रोज़ की सुनवाई के साथ ही मध्यस्थता की कोशिश भी जारी रह सकती है। कोर्ट ने साफ़ कहा कि याचिकाकर्ता इसके लिए स्वतंत्र हैं।
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में हर रोज़ की सुनवाई चल रही है लेकिन इस बीच मध्यस्थता की कोशिश दोबारा शुरू हो गई है। दो पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल को पत्र लिखे हैं।
अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में 17वें दिन की सुनवाई से पहले मुसलिम पक्ष के वकील को जान से मारने की धमकी मिली है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने धमकी मिलने की सूचना कोर्ट को दी।
सुप्रीम कोर्ट में दसवें दिन सुनवाई में मूल याचिकाकर्ताओं में शामिल गोपाल सिंह विशारद के वकील ने दलील रखी कि भगवान राम का उपासक होने के नाते मेरा वहाँ पर पूजा करने का अधिकार है।
अयोध्या विवाद में सुनवाई में रामलला विराजमान के वकील ने कहा कि अगर जन्मस्थान देवता है, अगर संपत्ति ख़ुद में एक देवता है तो ज़मीन के मालिकाना हक़ का दावा कोई नहीं कर सकता।