अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से पहले भले ही सबकुछ सामान्य दिख रहा है, लेकिन अयोध्या में लोगों के दिलों में डर भी है। तरह-तरह की आशंकाएँ क्यों हैं?
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से अयोध्या विवाद ख़त्म होगा या नहीं? यह इस पर भी निर्भर करता है कि फ़ैसला किस तरह का आता है? क्या फ़ैसला अनुकूल नहीं आएगा तो हिंदू या मुसलिम पक्ष झुकने को तैयार होगा? सत्य हिंदी पर देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट से आने वाले फ़ैसले से पहले अयोध्या में विहिप ने एक चौंकाने वाला फ़ैसला लिया है। तीन दशक में पहली बार इसने राम मंदिर बनाने के लिए पत्थरों को तराशने के काम को बंद कर दिया है।
प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रियों को निर्देश दिया है कि इस मामले में ग़ैरजरूरी या भड़काऊ बयानबाज़ी नहीं होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि शांति और सौहार्द्र को बनाये रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।
हिन्दुओं के पक्ष में निर्णय आने पर ही सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को मानने की बात कहने वाली बीजेपी, आरएसएस और विहिप अब कह रही हैं कि हर कोई फ़ैसला स्वीकार कर ले, चाहे वह कुछ भी हो।
1986 से 2019 तक बाबरी मसजिद का मुकदमा लड़ने वाले वकील ज़फ़रयाब जिलानी से बात की आशुतोष ने। उन्हें कोर्ट पर पूरा भरोसा है। उनका कहना है majoritarianism से डर कर बाबरी मसजिद का दावा छोड़ना बुजदिली होती है। और मुसलमान कायरता का कायल नहीं है। देखें पूरा इंटरव्यू।
अयोध्या की विवादित ज़मीन को लेकर हुए कथित समझौता फॉर्मूलने पर ही विवाद खड़ा हो गया है। सुन्नी पक्षकारों ने वक़्फ़ बोर्ड के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है।
अयोध्या विवाद पर जब सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आएगा तो यह किसके पक्ष में होगा? देश को और राजनीति को किस तरह प्रभावित करेगा? क्या इसका असर वैसा होगा जैसा अयोध्या विवाद की राजनीति ने अब तक किया है? देखिए 'आशुतोष की बात' में शैलेश और शीतल पी सिंह के साथ चर्चा।
अयोध्या जैसा गंभीर मामला। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई। लेकिन नाटकीयता पूरी तरह फ़िल्मों जैसी। सुनवाई का आख़िरी दिन था। हंगामा हुआ। कोर्ट में नक्शा फाड़ा गया।