अखिलेश के मैनपुरी की करहल सीट से चुनाव मैदान में उतरने से इटावा, एटा, औरैया, कासगंज और फिरोजाबाद जिलों में यादव मतदाता बड़ी संख्या में समाजवादी पार्टी के पक्ष में मतदान कर सकते हैं।
बग़ावत की खबरों के बाद बीजेपी नेतृत्व सक्रिय हो गया है। उत्तराखंड में पार्टी के बड़े नेताओं को टिकट न मिलने से नाराज नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
प्रियंका गांधी क्या यूपी में कांग्रेस की मुख्यमंत्री उम्मीदवार हो सकती हैं? इस सवाल का जवाब वह कुछ भी दें, लेकिन इससे पहले सवाल यह है कि वह क्या उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ भी सकती हैं?
पश्चिमी उत्तर प्रदेश बीजेपी के लिए सियासी रूप से बेहद उपजाऊ इलाका रहा है। बीते तीन चुनावों में पार्टी को यहां शानदार जीत मिली थी लेकिन एक साल तक चले किसान आंदोलन और सपा रालोद गठबंधन के चलते इस बार उसके सामने चुनौतियां ज्यादा हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में टिकटों के बंटवारे के बाद सपा रालोद गठबंधन और बीजेपी के अंदर घमासान मच गया है। बगावत होने के कारण दोनों के लिए ही हालात मुश्किल बन गए हैं और चुनाव दिलचस्प हो गया है।
हरक सिंह रावत के फिर से कांग्रेस में जाने की चर्चाओं के बीच बीजेपी ने उन्हें कुछ दिन पहले उत्तराखंड सरकार और पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। उसके बाद से ही उनके कांग्रेस में शामिल होने की बात कही जा रही थी।
बीजेपी लगातार दूसरे दलों को वंशवादी और परिवारवादी बताती है लेकिन उसे अपने गिरेबान में झांकना चाहिए कि नेता अपने बच्चों को टिकट दिलाने के लिए कितना दबाव पार्टी पर बना रहे हैं।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि इस युवा घोषणापत्र को बनाने के लिए कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने पूरे उत्तर प्रदेश के जिलों, कस्बों, शहरों में युवाओं से बात की और तब इसे तैयार किया गया है।