असम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सहयोगी दलों के चुनाव प्रचार को गति देने पहुंचे कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बीजेपी और आरएसएस पर सियासी तीर छोड़े हैं।
इत्र के व्यापारी बदरुद्दीन अजमल की राजनीतिक ताक़त है असम की वे तैंतीस सीटें, जहाँ मुसलमान बहुमत में हैं। इन सीटों पर उनकी ज़बर्दस्त पकड़ है। इसके अलावा क़रीब एक दर्ज़न सीटें हैं, जहाँ वे काँग्रेस तथा दूसरे दलों के साथ मिलकर पाँसा पलट सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषक मुकेश कुमार की टिप्पणी
हिमंत बिस्व शर्मा छल-बल की राजनीति में माहिर हैं। काँग्रेस से बीजेपी में आने के बाद वे एकदम से हिंदुत्व के झंडाबरदार बन गए हैं और मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हर उगलते रहे हैं। अगर पार्टी जीती तो वे मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
सांसद बदरुद्दीन अजमल चर्चा में हैं। एक वीडियो क्लिप को लेकर।उस छेड़छाड़ वाले वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, 'इसी भारत पर मुग़लों ने 800 साल राज किया। इस देश को इस्लामिक राष्ट्र बनायेंगे...।'
टाइम्स नाउ-सी वोटर चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में यह पाया गया है कि असम में एनडी को 67 सीटें मिल सकती हैं जबकि यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस यानी यूपीए को 57 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है। इस तरह वहाँ यूपीए की सीटें पहले से कम होने के बावजूद उसकी सरकर बनने के आसार हैं।
असम में पार्टी को जीत दिलाने का जिम्मा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सौंपा गया है और जब से बघेल ने असम के दौरे शुरू किए हैं, चुनावी हवा बदलती दिख रही है।
बंगाल की सभी सीटों पर किसान बीजेपी के खिलाफ प्रचार करेंगे ? आशुतोष के साथ चर्चा में आलोक जोशी, विनोद अग्निहोत्री, प्रिया सहगल, सतीश के सिंह, प्रभाकर मणि तिवारी, विजय त्रिवेदी, पुष्पेंद्र चौधरी ।
असम जातीय परिषद (एजेपी) और राइजर दल (आरडी) ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को चुनौती देने के लिए अपने गठबंधन में और अधिक दलों को शामिल करने की योजना बनाई है।
अगर बीजेपी असम को फिर से जीतती है, तो इसका मतलब होगा कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह द्वारा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम लागू करने से उन्हें ऐसे एक राज्य में नुक़सान नहीं होगा, जहाँ इस क़ानून के ख़िलाफ़ प्रबल आंदोलन शुरू हुआ था।
क्या उग्र हिन्दुत्व की राजनीति करने वाली पार्टी असम विधानसभा चुनाव के पहले सांप्रदायिक आधार पर समाज का ध्रुवीकरण करना चाहती है ताकि उसे अधिक से अधिक हिन्दू वोट मिले?