महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार के गिरने के लिए कौन ज़िम्मेदार है? बीजेपी के स्वभाव को देखते हुए क्या शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने विधायकों का ठीक से प्रबंधन नहीं किया? क्या स्थिति भाँपने में वह विफल नहीं रहे?
पिछले आठ वर्षों में मोदी सरकार ने देश के लिए ऐसा क्या किया जो सदियों तक याद रखा जा सके? क्या उन्होंने समाज को जोड़ने वाला काम किया? लोकतंत्र को मज़बूत करने वाला काम किया?
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने दया याचिका दाखिल की थी। आख़िर वह किस आधार पर यह कह रहे हैं? क्या ऐतिहासिक तथ्य इसकी पुष्टि करते हैं?
दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी ने सोमवार को पंजाब के नये मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। इसके साथ ही वह पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री बन गए हैं। क्या इस दलित चेहरे से कांग्रेस की राजनीति बदलेगी?
पर क्या आज़ादी के चौहत्तर साल के बाद भारतीय लोकतंत्र गांधी की कसौटी पर खरा उतरा है? क्या भारत लोकतंत्र के उस विज्ञान को विकसित कर पाया है जिसकी कामना गांधी ने की थी?
जरनैल सिंह भिंडरावाले को ख़त्म करने के लिये गोल्डन टेंपल पर आपरेशन ब्लू स्टार किया गया । भिंडरावाले को किसने खड़ा किया ? 1984 के कत्लेआम के बाद सिक्खों को इंसाफ़ क्यों नहीं मिला ? मशहूर वकील एच एस फुल्का से आशुतोष ने की बातचीत ।
जब इतिहास यह सवाल पूछेगा कि इन चुनावों की कितनी क़ीमत लोगों ने अपनी जान देकर चुकाई है, तो शायद इन लोगों के पास कोई जवाब नहीं होगा। जब इतिहास यह सवाल पूछेगा कि कुंभ में स्नान करने से कितनों की जान गयी तो कोई जवाब नहीं होगा?
पिछले दिनों जब कोरोना के मसले पर कई हाई कोर्टो ने सरकारों को फटकारा और फिर अचानक सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना मामले का स्वतः संज्ञान लिया तो सवाल खड़ा हो गया कि क्या ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बचाने के लिये किया? सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश की भूमिका पर वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने मशहूर वकील प्रशांत भूषण से बात की।
पिछले साल जब जनवरी फ़रवरी में कोरोना आया था, तभी से विशेषज्ञ कह रहे थे कि कोरोना की दूसरी लहर आएगी। दूसरी लहर पहले से अधिक ख़तरनाक होगी। दूसरी के बाद तीसरी और चौथी लहर भी आएगी। लेकिन क्या तैयारी हुई?
बंगाल के विधानसभा चुनाव ने एक बार फिर कई सवाल खड़े कर दिये हैं। जिस तरह हिंदू-मुसलमान में बँटवारा किया जा रहा है, मुसलमानों को पराया बनाने की कोशिश की जा रही है, क्या वह देश हित में है?
जो दो घटनाएं पश्चिम बंगाल चुनाव की दशा-दिशा तय करेंगी, वे हैं- राजनीतिक मंच से ममता बनर्जी का चंडी पाठ करना और पैर पर प्लास्टिक चढाए हुए व्हील चेयर पर चुनाव प्रचार करना।
क्या इसका मतलब यह है कि केजरीवाल ने मोदी से कुछ पैंतरे उधार लिए हैं और दक्षिणपंथी हो गए हैं? क्या इसका यह मतलब भी है कि यह केजरीवाल का वह पहलू है जिसे अब तक एक बड़े वर्ग ने देखा नहीं था और जो आरएसएस जैसा ही है?
सरकार ने एक ऐसी फ़ौज खड़ी कर दी है जो सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर विरोधियों पर टिड्डी दल की तरह धावा बोलती है और सामने वाले की छवि को पलक झपकते ही तार-तार कर देती है।