दिल्ली आबकारी मामले में फँसे और सीबीआई जाँच का सामना कर रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब सरकारी बंगले की मरम्मत पर खर्च को लेकर घिर गए हैं। जानें बीजेपी ने क्या आरोप लगाए।
सौरभ भारद्वाज ने भी सीबीआई पर निशाना साधते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री के पास कोई विकल्प नहीं है, अगर वे जवाब देंगे तो सीबीआई कहेगी कि जवाब नहीं मिला, और अगर नहीं देते हैं तो सीबीआई कहेगी कि उन्होंने जवाब देने से मना कर दिया।
अरविंद केजरीवाल से सीबीआई की पूछताछ के खिलाफ आप कार्यकर्ताओं ने सीबीआई के दफ्तर के बाहर धरना
प्रदर्शन भी किया। इस धरने में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राज्यसभा सांसद
राघव चड्ढ़ा, संजय सिंह सहित आप के कई विधायक शामिल हुए।
अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अदालतों में झूठे हलफनामे दायर कर कथित झूठी गवाही देने के लिए दोनों जांच एजेंसियों सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के खिलाफ मामला दर्ज करवाने की बात कही थी।
कांग्रेस विपक्षी एकता का दायरा बढ़ा रही है। उसकी एक झलक दिल्ली में मिली है। न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि केजरीवाल को सीबीआई समन मिलने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कल शाम को केजरीवाल से फोन पर बात की और पार्टी का समर्थन दोहराया।
केजरीवाल ने जांच एजेंसियों पर हमला करते हुए कहा कि दोनों केंद्रीय एजेंसियां ‘हर दिन किसी न किसी को पकड़ रही हैं, उन्हें धमकाया जा रहा है, मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है’। ईडी लोगों को पीट रही है।
क्या विपक्ष को एकजुट करने के लिए अब नीतीश कुमार ने बीड़ा उठा लिया है? क्या उन दलों को एकजुट करने की ज़िम्मेदारी नीतीश को दी गई है जिनकी कांग्रेस से नहीं बनती है?
राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के एक दिन बाद मंगलवार को आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में पार्टी के स्वयंसेवकों और समर्थकों का आभार व्यक्त किया। इस दौरान केजरीवाल ने कहा कि 10 साल की छोटी सी अवधि में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करना 'चमत्कारिक और अविश्वसनीय' उपलब्धि है।
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को मिलने वाले दर्जे को अपग्रेड किया है और इसके साथ ही आम आदमी पार्टी को बड़ा फायदा हुआ है। लेकिन टीएमसी, एनसीपी और सीपीआई को नुक़सान क्यों हुआ?
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अब पीएम की डिग्री पर सवाल किए जाने को गैर जरूरी मुद्दा बताया है। हाल ही में अडानी मुद्दे पर उन्होंने कुछ ऐसा ही रुख अपनाया था। रंग बदलते पवार विपक्षी एकता के लिए खतरनाक होते जा रहे हैं।