आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया जेल से बाहर निकल कर अब खुली हवा में सांस ले रहे हैं। लेकिन उनकी जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जो टिप्पणियां निचली अदालतों और जांच एजेंसियों के सिस्टम पर की हैं, क्या उससे कुछ बदलेगा। सिसोदिया तो नेता हैं, आम आदमी को इसी सिस्टम से मिलने वाले इंसाफ का क्या होगा। जरा भी कहीं कोई उम्मीद नहीं है। अलबत्ता आम आदमी पार्टी चाहे तो इस मौके का फायदा उठाकर खुद को फिर से बदल सकती है। मनीष सिसोदिया के जरिए पुरानी AAP जिन्दा हो सकती है। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक आशुतोष की टिप्पणीः