सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में जारी पाबंदियों को लेकर फ़ैसला सुना दिया है। कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि लोगों के अधिकारों की रक्षा करना बेहद ज़रूरी है।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 5वीं से लेकर 12वीं तक की वार्षिक परीक्षाएँ घोषित कर दी हैं। परीक्षा के लिए अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से क्या स्थिति को सामान्य करने में मदद मिलेगी?
जम्मू-कश्मीर में पाबंदी लगने के दो महीने बाद भी कश्मीरियों के साथ लगातार हो रही 'क्रूरता' पर अब कई आईआईटी के 132 शिक्षकों, पूर्व छात्रों और छात्रों ने सरकार को चिट्ठी लिखी है।
उमर अब्दुल्ला और फारूक़ अब्दुल्ला से नेशनल कॉन्फ़्रेंस के प्रतिनिधिमंडल के बाद अब पीडीपी यानी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रतिनिधिमंडल भी अपनी पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती से मिल पाएगा।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 में बदलाव के दो महीने बाद पहली बार उमर अब्दुल्ला और उनके पिता फारूक़ अब्दुल्ला को अपनी पार्टी नेशनल कॉन्फ़्रेंस के नेताओं से मिलने दिया गया।
अनुच्छेद 370 में फेरबदल के बाद से जम्मू-कश्मीर में लगाई गई पाबंदी और डेढ़ महीने बाद भी हालात बदतर रहने पर क़रीब 500 शिक्षाविदों और वैज्ञानिकों ने गंभीर चिंता जताई है।
अनुच्छेद 370 में बदलाव के बाद से हिरासत में लिए गए लोगों की याचिकाओं पर जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में क्या तेज़ी दिखाई दे रही है? ये याचिकाएँ हैं हैबियस कॉर्पस यानी बन्दी प्रत्यक्षीकरण की। इनमें 252 गिरफ़्तारियों को चुनौती दी गई है।
जम्मू-कश्मीर में पाबंदी के 40 दिन बीत गए। केंद्र सरकार का दावा है कि वहाँ स्थिति सामान्य हो चुकी है। सच क्या है? बता रही हैं मौमूना मुल्ला, जिन्होंने श्रीनगर से लेकर कश्मीर के दूर दराज के इलाक़ों का जायजा लिया। इनसे बातचीत की है करेंट अफ़ेयर्स एडिटर नीलू व्यास ने।
सरकार के इस दावे पर कि पाबंदी लगाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में एक गोली भी नहीं चलाई गई है, सीपीएम के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व विधायक यूसुफ़ तारीगामी ने कहा है कि कश्मीरी धीमी मौत मर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने भले ही सरकार से जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने को कहा हो, लेकिन इसके साथ ही इसने सरकार द्वारा रखे गए राज्य में हिंसा के आँकड़ों को पाबंदी के पीछे ‘ठोस कारण’ माने हैं।