प्रोफ़ेसर कृष्ण कुमार ने इसलामोफ़ोबिया शब्द के इस्तेमाल को ग़लत बताया। उनका कहना है कि यह शब्द उस मनोवृत्ति को व्यक्त नहीं करता जो अभी पूरी दुनिया में अलग-अलग रूप में प्रकट हो रही है। क्या सच में ऐसा है?
जैसे यहूदी विरोध आपके भीतर संस्कार की तरह सोया रहता है, वैसे ही मुसलमान विरोध भी। इसे इसलामोफ़ोबिया कहा गया है। कुछ विद्वानों का कहना है कि लोगों के भीतर मुसलमानों को लेकर तरह-तरह के पूर्वग्रह हैं।