2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इन राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन इस बात को तय करेगा कि वह विपक्षी एकता की अगुवाई कर पाएगी या नहीं?
देश आज 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा है तो क्या यह नहीं पूछा जाना चाहिए कि आज़ादी के समय देखे गए सपनों पर कितना खरा उतरे हम और क्या उन सपनों का भारत बना पाए?
कोरोना की दूसरी लहर के बाद धीरे-धीरे दूसरी सभी गतिविधियाँ शुरू हो गईं तो फिर जनगणना का काम शुरू क्यों नहीं हो सका है? इसके बिना सरकार अपनी नीतियां और जनकल्याणकारी योजनाएं कैसे बनाएगी?
आजादी के अमृत महोत्सव मना रहे पीआईबी की एक पाक्षिक पत्रिका 'न्यू इंडिया समाचार’ में चैतन्य महाप्रभु, स्वामी विवेकानंद और रमण महर्षि के बारे में ग़लत तथ्य कैसे प्रकाशित हो गए?
चीन के साथ सीमा विवाद का मसला फिर से सुर्खियों में क्यों है? चीन ने सीमा क्षेत्र में जगहों के नाम क्यों बदले हैं? क्या चीन लद्दाख के बाद अरुणाचल क्षेत्र में अपनी स्थिति मज़बूत करने मे जुटा है?
क्या भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश हो रही है? हरिद्वार की धर्म संसद की तरह कई जगहों पर भड़काऊ भाषण दिए जा रहे हैं, ये भारत की धर्मनिरपेक्षता के लिए गंभीर ख़तरा है।
राज्यों में राज्यपालों की भूमिका अब बेहद विवादस्पद क्यों हो गई है? महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड जैसे राज्यों में राज्यपाल के फ़ैसले पर सवाल क्यों उठते हैं?
देश में सरकार चला रहे एनडीए गठबंधन के ज़्यादातर बड़े और पुराने सहयोगी उसका साथ छोड़ चुके हैं और यह लुंज-पुंज हालत में है लेकिन ममता बनर्जी इस पर चुप हैं और यूपीए पर हमलावर हैं।
भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को 37 साल बाद भी इंसाफ़ नहीं मिल पाया है। सरकारें इस घटना से चेतने के बजाए बाक़ी विनाशकारी परियोजनाओं को पूरा करने के काम में जुटी हैं।