कांग्रेस नेता राहुल गांधी विपक्ष के नेता होने के बावजूद इस कोरोना काल में सरकार की नीतियों के प्रति तीखा आलोचनात्मक रवैया और हमलावर तेवर रखने के बजाय लगातार सहयोग का रुख़ दिखा रहे हैं।
2021 साहिर लुधियानवी का जन्म शताब्दी वर्ष है। आज अगर वह हमारे बीच होते तो सौ साल के हो गए होते। साहिर लुधियानवी का ये शेर एक तरह से उनकी समूची रचनात्मकता, उनकी शायरी, उनके तमाम फ़िल्मी नग्मों का निचोड़ है और बुनियाद भी।
पत्रकारिता की साख और सम्मान को गिराने में टीवी न्यूज़ मीडिया ने प्रिंट के मुक़ाबले बहुत तेज़ी से शर्मनाक योगदान दिया है और इसकी क़ीमत पूरी इंडस्ट्री को चुकानी पड़ेगी।
पिछले कुछ समय से यह देखा जा सकता है कि नसीरुद्दीन शाह अपनी फ़िल्मी दुनिया के अलावा मौजूदा राजनीति और समाज के ढर्रे पर भी बहुत मुखर होकर अपनी नाख़ुशी या नाराज़गी जताते रहते हैं।
14 जुलाई 1917 को पैदा हुए संगीतकार रोशन की जन्म शताब्दी तीन साल पहले आकर चुपचाप गुज़र भी गयी लेकिन उनके परिवार के अलावा फ़िल्मी दुनिया में शायद ही उन्हें किसी आयोजन के ज़रिये याद किया गया हो।
पत्रकारिता आज़ादी के दौर में मिशन थी, बाद में प्रोफ़ेशन बन गयी और अब टीवी चैनलों के शोर के दौर में प्रहसन हो चुकी है। इस पत्रकारिता का सूत्र वाक्य है - सनसनी सत्यं, ख़बर मिथ्या।
‘पाताल लोक’ में इंस्पेक्टर हाथीराम चौधरी और उनके जूनियर इमरान अंसारी ने शानदार अभिनय किया है। ‘पाताल लोक’ से अल्पसंख्यकों के मसले पर समाज की सोच कैसी है, इसका भी पता चलता है।
कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से जारी देशव्यापी लॉकडाउन के बीच गुरुवार को बुद्ध पूर्णिमा की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन सुन कर कई तरह के ख़याल आए।
मध्यवर्गीय परवरिश वाले माहौल से आने वाले इरफ़ान ने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से निकलकर मुंबई की चकाचौंध वाली फ़िल्म इंडस्ट्री में अपने काम के दम पर पहचान बनाई।