यस बैंक को वापस पटरी पर लाने की ज़िम्मेदारी स्टेट बैंक को सौंपी गई है। स्टेट बैंक दस रुपए के भाव पर बैंक में पैंतालीस परसेंट हिस्सेदारी भी ख़रीद रहा है। और अब उसने अपने सात साथी भी चुन लिए हैं। लेकिन इस चक्कर में कहीं छोटे शेयरहोल्डर के साथ अन्याय तो नहीं हो रहा? वरिष्ठ पत्रकार और सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक आलोक जोशी की टिप्पणी।
शेयर बाज़ार में जबरदस्त संकट आया है और आम निवेशक इससे घबरा गये हैं। लेकिन ऐसे में आम निवेशकों को बिल्कुल नहीं घबराना नहीं चाहिए। सुनिए, ‘माइंड योर बिजनेस’ कार्यक्रम में क्या कहा सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक आलोक जोशी ने।
यस बैंक के खाताधारकों की पाई-पाई सुरक्षित है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के इस एलान के बाद बहुत से लोगों की साँस में साँस आई। लेकिन इतना कह देने से बात ख़त्म नहीं हो जाती। बहुत-सी परेशानियों से जूझ रहे हैं लोग और अनेक सवालों के जवाब मिलने अभी बाक़ी हैं। और ब्योरा दे रहे हैं सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक और आर्थिक पत्रकार आलोक जोशी।
2017 से रिज़र्व बैंक लगातार यस बैंक पर कड़ी नज़र रख रहा था। यस बैंक ने बहुत भारी मुश्किल से गुज़र रही यानी क़र्ज़ के बोझ में दबी कंपनियों को क़र्ज़ दे रखे थे। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का यह दावा है।
यस बैंक बिकेगा यह तो तय हो गया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका एलान कर दिया है और रिज़र्व बैंक ने यस बैंक पुनर्जीवन योजना का दस्तावेज़ भी जारी कर दिया है। स्टेट बैंक ने यस बैंक में हिस्सेदारी ख़रीदने की इच्छा भी जताई है। लेकिन क्या स्टेट बैंक ही यह सौदा करेगा या कोई और है असली ख़रीदार? सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक और आर्थिक विश्लेषक आलोक जोशी की टिप्पणी।
यस बैंक के खाताधारकें में हड़कंप मचा हुआ है। बैंक को हुआ क्या है और आपको करना क्या चाहिए? बता रहे हैं सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक और आर्थिक पत्रकार आलोक जोशी।
भारत सरकार के सॉवरेन गोल्ड बांड की दसवीं सीरीज़ बंद होने वाली है। क्या आपको इसमें पैसा लगाना चाहिए? क्या यह सोना ख़रीदने के लिए सही समय है? सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक और आर्थिक विश्लेषक आलोक जोशी ‘माइंड योर बिजनेस’ कार्यक्रम में बता रहे हैं कि बाज़ार से सोना ख़रीदने, शेयर बाज़ार में ईटीएफ़ की यूनिट ख़रीदने या सॉवरेन गोल्ड फ़ंड में से क्या और कैसे चुनें!
कोरोना वायरस का असर फैलता जा रहा है। और उससे भी ज़्यादा बढ़ रहा है इस बीमारी का ख़ौफ़। ऐसे में समझना ज़रूरी है कि आप इस बीमारी से बचने के लिए क्या कर सकते हैं। वरिष्ठ पत्रकार आलोक जोशी बता रहे हैं कि कोरोना वायरस कैसे फैलता है और इससे बचने के लिए क्या करें और क्या न करें?
देश की दूसरी सबसे बड़ी क्रेडिट कार्ड कंपनी एसबीआई कार्ड्स का आइपीओ बुधवार तक खुला है। 10 रुपए का शेयर 750 से 755 रुपए के भाव पर मिल रहा है। उसमें भी लंबी लाइन लगने के आसार हैं और लॉटरी से ही तय होगा कि किसे कितने शेयर मिलेंगे। क्या है इस कंपनी का भविष्य और क्या आपको एसबीआई कार्ड्स के आइपीओ में अर्जी लगानी चाहिए? क्या सलाह है बाज़ार के जानकारों की। बता रहे हैं सीएनबीसी आवाज़ के संपादक रहे आलोक जोशी। सत्य हिंदी की खास सीरीज़ Mind Your Business की चौथी कड़ी में।
नौकरी करने के दौरान आपको कुछ बचत करना बेहद ज़रूरी है। कमाई कम हो या ज़्यादा लेकिन आपके पास इसका हिसाब होना चाहिये कि कितना पैसा आप कमा रहे हैं और कितना ख़र्च कर रहे हैं। मतलब यह कि आपको पाई-पाई का हिसाब रखना बेहद ज़रूरी है। लेकिन क्यों सुनिये, ‘माइंड योर बिजनेस’ कार्यक्रम में सत्य हिन्दी पर क्या कहा सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ आलोक जोशी ने।
लोगों की मौत का कारण बना कोरोना वायरस अब शेयर बाज़ार में घुस गया है! दुनिया भर में इस वायरस का असर है और अब इसके डर से शेयर बाज़ार धड़ाम हुए हैं। निफ़्टी और सेंसेक्स भी औंधे मुँह गिरे हैं। सेंसेक्स में तो 1400 से ज़्यादा की गिरावट आई है। क्या होगा इसका असर, देखिए 'Mind Your Business' में सीएनबीसी के पूर्व संपादक आलोक जोशी की रिपोर्ट।
सत्य हिन्दी पर जल्द आ रहा है ‘माइंड योर बिजनेस’ कार्यक्रम। इस कार्यक्रम में सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ आलोक जोशी आपको बताएंगे कि आप कैसे अपने पैसे, अपने कारोबार, अपनी आमदनी का हिसाब-किताब रखें।
ट्रंप को अमेरिकी कंपनियों के लिये भारत में पैसा लगाने और भारत के बाज़ार में सामान बेचने की खुली छूट चाहिए। यही भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की सबसे बड़ी बाधा है। सुनिए, क्या बोले आर्थिक मामलों के जानकार आलोक जोशी।
डोनल्ड ट्रंप मोटेरा स्टेडियम में ज़ोरदार स्वागत से खुश तो बहुत हुए, भारत की तारीफ़ में उन्होंने काफ़ी कुछ कहा भी लेकिन उन्होंने और प्रधानमंत्री मोदी ने जो कुछ कहा उससे क्या संकेत मिलते हैं? सुनिए, सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक और वरिष्ठ आर्थिक विश्लेषक आलोक जोशी की टिप्पणी।
ट्रंप के कार्यकाल ख़त्म होने के समय उनकी भारत यात्रा क्यों हुई? यदि व्यापार समझौता होगा भी तो किसके पक्ष में होगा? 'अमेरिका फ़र्स्ट' का नारा लगाते रहने वाले भारत को क्या कुछ देने को तैयार होंगे या केवल सबकुछ अपने पक्ष में कर लेंगे? देखिए सीएनबीसी के पूर्व संपादक और आर्थिक विशेषज्ञ आलोक जोशी की रिपोर्ट।