मैनपुरी उपचुनाव ने शिवपाल यादव को दुविधा में डाल दिया है। वो तय नहीं कर पा रहे हैं कि घर की बहू का विरोध करें या फिर बीजेपी प्रत्याशी का समर्थन करें। बीजेपी प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य ने शिवपाल को अपना गुरु बताया है। बहरहाल, मैनपुरी उपचुनाव दिलचस्प होता जा रहा है। पढ़िए पूरी रिपोर्टः
रामपुर और आजमगढ़ में लोकसभा का उपचुनाव हारने के बाद अब अखिलेश यादव के सामने अपनी निजी प्रतिष्ठा और अपने पिता मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत को बचाने की बड़ी चुनौती है। लेकिन क्या वह अपने चाचा शिवपाल यादव को अपने साथ ला पाएंगे?
अखिलेश यादव को तीसरी बार सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। इस मौके पर उन्होंने यूपी के चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग बीजेपी से मिला हुआ है। उसने हर विधानसभा क्षेत्र से 20-20 हजार यादव और मुस्लिम मतदाताओं के नाम हटा दिए।
यूपी सरकार और सपा विधायक आजम खान में रस्साकशी जारी है। आजम खान ने अब सरकारी सुरक्षा वापस कर दी है। उनका दिल्ली में इलाज चल रहा है। लेकिन यूपी सरकार उन पर लगातार कार्रवाई कर रही है। पिछले दिनों वो दो साल जेल में रहने के बाद जमानत पर बाहर आए हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आजम के उत्पीड़न का मुद्दा तीन दिन पहले विधानसभा में भी उठाया था।
यूपी की राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी के प्रदर्शन पर योगी सरकार ने रोक लगा दी है। इस समय लखनऊ में बड़े पैमाने पर नेताओं, विधायकों, कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियां चल रही हैं। अखिलेश यादव और कई विधायकों को नजरबंद कर दिया गया है।
उत्तर प्रदेश में चुनाव के कुछ महीने के अंदर ही जिस तरह कई नेता विपक्षी गठबंधन छोड़ने को तैयार दिखते हैं उससे अखिलेश यादव की सियासी क्षमता पर भी सवाल खड़ा होता है।
आजमगढ़ और रामपुर के समाजवादी गढ़ों को अब भाजपा ने तोड़ दिया है, जिसके अब यूपी में 64 लोकसभा सांसद हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी का क्या। क्या अखिलेश का चैप्टर खत्म हो गया है? नीलू व्यास के साथ बेबाक में वरिष्ठ पत्रकार सतीश के सिंह, शीतल पी सिंह, शरत प्रधान, डॉ. सुनीलम और भाजपा प्रवक्ता देवराज आहूजा शामिल हैं
ऐसा लगता है कि आजम खान और अखिलेश यादव ने आखिरकार अपने मतभेदों को भुला दिया और फिर से एक हो गए। आइए जानें कि क्या रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव ने दोनों को एक बार फिर साथ ला दिया है.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तमाम तल्खियों को मिटाते हुए बुधवार को दिल्ली के अस्पताल में पूर्व मंत्री और वरिष्ठ सपा नेता आजम खान से मुलाकात की। इस मुलाकात के राजनीतिक मकसदों को आसानी से समझा जा सकता है।