शरद पवार ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद पवार ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने केवल पद छोड़ा है, लेकिन सक्रिय राजनीति नहीं। वे राजनीति में बने रहेंगे। उन्होंने कार्यकर्ताओं से उनका इस्तीफा स्वीकार करने की अपील की थी।
शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने कहा कि अजित पवार की टिप्पणी से साफ़ हो गया है कि बीजेपी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को अपना बस्ता बांध लेने को कह दिया है।
अजित पवार शुक्रवार को मुंबई में हो रही पार्टी की बैठक छोड़कर, पुणे में हो रहे दूसरे कार्यक्रम में शामिल हुए। इसे उनकी नाराजगी के तौर पर देखा गया। उसी दिन जारी की स्टार प्रचारकों की सूची से नाम काट दिया गया।
संजय शिरसाट ने कहा कि एनसीपी में उथल-पुथल का दौर चल रहा है, यह वैसा ही जैसा कुछ दिनों पहले शिवसेना में था। अजित पवार को उद्धव ठाकरे का नेतृत्व मंजूर नहीं है, और वह एनसीपी में भी नहीं रहना चाहते।
अजीत पवार ने कहा, ''मैं एनसीपी कार्यकर्ताओं को बताना बताना चाहता हूं,'चिंता न करें, एनसीपी का गठन शरद पवार के नेतृत्व में हुआ था, उसके बाद से कई बार ऐसा हुआ है, जब हम सत्ता में या विपक्ष में रहे हैं।
बंगाल और महाराष्ट्र की बोली, संस्कृति बेशक अलग-अलग हैं लेकिन दोनों राज्यों के दो नेताओं मुकुल रॉय और अजीत पवार की राजनीतिक मजबूरियां एक जैसी हैं और इसीलिए दोनों जब तब अपनी मूल पार्टी से बेवफाई करते रहते हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति में तेजी से उतार चढ़ाव हो रहे हैं। आज खबरें गर्म हैं कि एनसीपी टूटने जा रही है। नेता विपक्ष अजीत पवार को एनसीपी के करीब 35 विधायकों का समर्थन प्राप्त है और वो कभी भी उन विधायकों के साथ बीजेपी से हाथ मिला सकते हैं।
महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अजित पवार भाजपा के साथ गठबंधन करने के इच्छुक हैं, और अपनी इस इच्छा को लेकर पार्टी प्रमुख शरद पवार को भी सूचित कर दिया है।
महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी गठबंधन में क्या फूट की आशंका है? जानिए आख़िर क्यों उद्धव ठाकरे खेमे के नेता संजय राउत ने अजित पवार और बीजेपी को लेकर क्या कहा।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 के चुनाव बाद घटनाक्रम को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जो टिप्पणी की है, उससे उस समय के घटनाक्रम मेल नहीं खाते हैं। ज्यादा पुराना इतिहास नहीं है। जानिएः
महाराष्ट्र में 2019 में जब बीजेपी और शिवसेना की सरकार नहीं बनी तो तीन दिन के लिए एक सरकार बनी थी, जिसमें सीएम देवेंद्र फडणवीस बने और एनसीपी के अजीत पवार डिप्टी सीएम। तीन साल बाद उस राजनीतिक घटनाक्रम पर दो नेताओं में बयानबाजी हो रही है।
क्या बीजेपी शिवसेना के बाद एनसीपी को तोड़ने की कोशिश कर रही है? क्या एक बार फिर अजित पवार उसके मोहरे बनेंगे? क्या मोदी सरकार फिर से ईडी और सीबीआई के ज़रिए उन पर दबाव बना रही है? आख़िर राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टी के सम्मेलन से बीच में अजित पवार का जाना क्या कहता है?