शरद पवार ने वारिस का एलान कर ही दिया। सुप्रिया सुले के साथ प्रफुल्ल पटेल भी पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष होंगे। लेकिन क्या करेंगे अजित पवार? एनसीपी और महाराष्ट्र की राजनीति पर इसका क्या असर होगा? आलोक जोशी के साथ ज्ञानेश वाकुडकर, वाहिद अली खान, रवि किरण देशमुख और सतीश के सिंह।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी में जो बदलाव किए गए हैं, उसके बाद क्या सबकुछ सामान्य है? जानिए अजित पवार को लेकर कयासों पर सुप्रिया सुले ने क्या कहा।
प्रफुल्ल पटेल ने बताया कि शरद पवार ने एनसीपी की एक कमेटी गठित कर नया अध्यक्ष चुनने की जिम्मेदारी हमें दी थी। इस कमेटी में पहला नाम मेरा था। इस्तीफे के बाद से ही पवार साहेब से फैसला वापस लेने की अपील की जा रही है। हमने उनसे आग्रह किया कि केवल पार्टी ही नहीं, राज्य और देश की राजनीति को भी उनकी जरूरत है।
एनसीपी अध्यक्ष पर आज फैसला हो सकता है। पार्टी की बैठक 11 बजे बुलाई गई है। हर कोई शरद पवार को देख रहा है। सुप्रिया सुले के नाम पर लगभग सभी की सहमति बन गई है।
महाराष्ट्र के सियासी जानकारों का कहना है कि यह शरद पवार का राजनीतिक दांव था, जिसमें वो माहिर हैं। इस दांव से उन्होंने कई चीजों को एक साथ साध लिया। पहली तो ये कि उन्होंने अजित पवार की बगावत को शांत कर दिया है, जिनको लेकर खबरें आ रही थीं कि वे बीजेपी के साथ नजदीकी बढ़ा रहे हैं।
शरद पवार ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद पवार ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने केवल पद छोड़ा है, लेकिन सक्रिय राजनीति नहीं। वे राजनीति में बने रहेंगे। उन्होंने कार्यकर्ताओं से उनका इस्तीफा स्वीकार करने की अपील की थी।
शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने कहा कि अजित पवार की टिप्पणी से साफ़ हो गया है कि बीजेपी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को अपना बस्ता बांध लेने को कह दिया है।
अजित पवार शुक्रवार को मुंबई में हो रही पार्टी की बैठक छोड़कर, पुणे में हो रहे दूसरे कार्यक्रम में शामिल हुए। इसे उनकी नाराजगी के तौर पर देखा गया। उसी दिन जारी की स्टार प्रचारकों की सूची से नाम काट दिया गया।
संजय शिरसाट ने कहा कि एनसीपी में उथल-पुथल का दौर चल रहा है, यह वैसा ही जैसा कुछ दिनों पहले शिवसेना में था। अजित पवार को उद्धव ठाकरे का नेतृत्व मंजूर नहीं है, और वह एनसीपी में भी नहीं रहना चाहते।
अजीत पवार ने कहा, ''मैं एनसीपी कार्यकर्ताओं को बताना बताना चाहता हूं,'चिंता न करें, एनसीपी का गठन शरद पवार के नेतृत्व में हुआ था, उसके बाद से कई बार ऐसा हुआ है, जब हम सत्ता में या विपक्ष में रहे हैं।
बंगाल और महाराष्ट्र की बोली, संस्कृति बेशक अलग-अलग हैं लेकिन दोनों राज्यों के दो नेताओं मुकुल रॉय और अजीत पवार की राजनीतिक मजबूरियां एक जैसी हैं और इसीलिए दोनों जब तब अपनी मूल पार्टी से बेवफाई करते रहते हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति में तेजी से उतार चढ़ाव हो रहे हैं। आज खबरें गर्म हैं कि एनसीपी टूटने जा रही है। नेता विपक्ष अजीत पवार को एनसीपी के करीब 35 विधायकों का समर्थन प्राप्त है और वो कभी भी उन विधायकों के साथ बीजेपी से हाथ मिला सकते हैं।
महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अजित पवार भाजपा के साथ गठबंधन करने के इच्छुक हैं, और अपनी इस इच्छा को लेकर पार्टी प्रमुख शरद पवार को भी सूचित कर दिया है।