अफ़ग़ानिस्तान में लोगों ने राष्ट्रीय अफ़ग़ान झंडे के साथ प्रदर्शन किया है और तालिबान के झंडे को फाड़ दिया है। तालिबान लड़ाकों ने गोलियाँ चलाई हैं। कई लोग मारे गए हैं।
पाकिस्तानी सेना, सरकार और ख़ुफ़िया एजेन्सी आईएसआई ने जिस हक्क़ानी नेटवर्क को 20 साल से पाला पोसा है, उसके लोग ही अफ़ग़ानिस्तान में सरकार बनाने जा रहे हैं। मतलब साफ है।
अफ़गानिस्तान में 20 साल तक अमेरिकी सैनिक जमे रहे, तालिबान ने अपने आपको इस दौरान कैसे बचाया, उन्होंने किस तरह अफ़ग़ा सेनान को शिकस्त देकर अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़ा कर लिया, ये सवाल अहम हैं।
एफ़आईईओ के महानिदेशक डॉ. अजय सहाय ने कहा है कि तालिबान ने पाकिस्तान के रास्तों से आने वाले माल की आवाजाही पर रोक लगा दी है और इस वजह से वहां से होने वाला आयात बंद हो गया है।
अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान के 9.5 बिलियन डॉलर रिजर्व को फ्रीज़ कर दिया है। यह कार्रवाई काबुल में तालिबान के कब्जे के बाद की गई है ताकि तालिबान उस फंड तक पहुँच नहीं सके।
ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने सदस्य मौलाना सज्जाद नोमानी के तालिबान को लेकर दिए बयान से खुद को अलग किया है। नोमानी ने तालिबान की तारीफ़ की थी।
अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति अमारुल्ला सालेह रविवार को तालिबान के काबुल पहुँचने पर गायब हो गए थे, अब उसे चुनौती दे रहे हैं और ख़ुद को क़ानूनन कार्यवाहक राष्ट्रपति बता रहे हैं।
तालिबान के स्थानीय कमान्डर ने काबुल के करते परवान गुरुद्वारा जाकर वहां जमा अफ़ग़ान सिखों व हिन्दुओं से मुलाक़ात कर उन्हें सुरक्षा को लेकर आश्वस्त किया और कहा कि वे देश छोड़ कर न जाएं।