अडानी पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के चुभते सवालों का पीएम मोदी ने जिस तरह जवाब दिया है, वो देश ने देखा, सुना और समझा। आखिर प्रधानमंत्री ने ऐसा क्यों किया, बता रहे हैं पंकज श्रीवास्तव...
कांग्रेस-बीजेपी के बीच अब अडानी के बजाय राहुल गांधी पर जंग छिड़ गई है। संसदीय कार्यवाही से राहुल के आरोपों को हटाने पर कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया। दूसरी तरफ बीजेपी सांसद राहुल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दे रहे हैं। क्या कहते हैं संसदीय नियम, जानिएः
अडानी मुद्दा गरम है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। राहुल ने आरोपों के दौरान अडानी के श्रीलंका प्रोजेक्ट का जिक्र किया था। आखिर क्या था वो प्रोजेक्ट, राहुल कितना सच बोले, जानिएः
संसद में अडानी पर आज फिर घमासान होने वाला है। बीजेपी के तमाम नेता और सांसदों ने राहुल पर हमला बोल दिया है। कांग्रेस शासन के घोटाले याद किए जा रहे हैं। राहुल के सवालों का जवाब कोई नहीं दे रहा है। अलबत्ता पीएम मोदी आज बुधवार को दोपहर बाद राहुल को जवाब दे सकते हैं। उसकी तैयारी जारी है।
संसद में चौथे दिन भी हंगामा हुआ। सरकार ने कल सोमवार को विपक्षी नेताओं से कई बैठकें और संसद चलाने का अनुरोध किया। दोपहर बाद ही सदन में ठीक से चर्चा का माहौल बना। उसे पहले सदन दो बार स्थगित हुआ।
अडानी पर अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) भी अडानी के साथ खड़ा हो गया है। उसके मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने खुलकर उन लोगों को घेरा है जो अडानी को लेकर सरकार से सवाल पूछ रहे हैं। आमतौर पर संघ ऐसे विवादास्पद आर्थिक मामलों में हाथ नहीं सेंकता है। आखिर कुछ तो इसका मतलब है।
अडानी मामले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज शनिवार को पहला बयान दिया। निर्मला ने कहा कि अडानी को एलआईसी और एसबीआई सहित तमाम बैंकों ने नियमों का पालन किया है।
अडानी मामले में जांच की मांग को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर पूरा दबाव बना दिया है। उसने 6 फरवरी को एलआईसी और एसबीआई दफ्तरों पर देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है।
अडानी समूह पर छाए संकट की वजह से एसबीआई सहित तमाम सरकारी बैंकों और एलसीआई को लेकर एक तरफ सवाल उठ रहे हैं तो दूसरी तरफ वित्त मंत्री, पूर्व वित्त सचिव ने शुक्रवार को देश को भरोसा दिया कि चिन्ता की कोई बात नहीं है।
एसबीआई ने 21000 करोड़ और पंजाब नेशनल बैंक ने अडानी समूह की कंपनियों को 7000 करोड़ का लोन दे रखा है। अडानी समूह इस समय संकट में है। शेयर मार्केट में उसकी कंपनियां डूब रही हैं। ऐसे में सवाल उठ खड़ा हुआ है कि कहीं सरकारी बैंकों के लोन पर तो कोई खतरा नहीं है, अगर ऐसा हुआ तो सरकारी बैंक डूब सकते हैं।
केंद्र सरकार शुक्रवार को पहली बार अडानी ग्रुप के मामले में बोली है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार का अडानी मामले से कुछ भी लेना देना नहीं है।
अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज के इंडेक्स से अडानी ग्रुप की सभी कंपनियां हटा दी जाएंगी। इसका सीधा सा मतलब है कि अब अमेरिका के लोग अडानी ग्रुप में डाउ जोंस के जरिए निवेश नहीं कर पाएंगे।
संसद का बजट सत्र जारी है। सरकार अडानी पर उठे सवालों पर विपक्ष को चर्चा नहीं करने दे रही है। आज शुक्रवार को लगातार दूसरा दिन है, जो हंगामे की भेंट चढ़ गया। समूचे विपक्ष ने नोटिस देकर चर्चा की मांग की लेकिन सरकार ने चर्चा नहीं होने दी।
अडानी पर लगे आरोपों पर केंद्र सरकार का औपचारिक बयान गुरुवार को न संसद में आया और न संसद के बाहर। कांग्रेस ने कहा कि राहुल गांधी समय-समय पर सरकार को चेतावनी देते रहे हैं। लेकिन सरकार ने उन आरोपों पर कभी ध्यान नहीं दिया। विपक्ष ने आज गुरुवार को संसद के बाहर और अंदर सरकार से सवाल किए, जवाब मांगा।