अडानी समूह के खिलाफ सेबी कोई जांच कर रहा है। मीडिया की तरफ से खबरे हैं लेकिन कोई बयान नहीं है। अब तमाम आर्थिक अखबारों ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि सेबी 15 फरवरी को वित्त मंत्री को इस कथित जांच के बारे में अपडेट देगा।
संसद की कार्यवाही के दौरान विपक्ष ने आज सोमवार को हंगामा किया। सरकार ने अडानी समेत विपक्ष के किसी मुद्दे पर चर्चा नहीं होने दी गई। भारी हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही 13 मार्च तक स्थगित कर दी गई
भारत में पहले दौर के पूंजीपतियों और मौजूदा दौर के पूंजीपतियों का महीन अंतर समझा रहे हैं पत्रकार और लेखक अपूर्वानंद। उनके मुताबिक पहले दौर के पूंजीपति राष्ट्र निर्माण में भी भूमिका निभाते रहे हैं। नया दौर सेठ तंत्र विकसित कर रहा है, जो सिर्फ अपने मुनाफे के बारे में सोचता है।
अडानी के मामले में पीएम मोदी उनसे रिश्तों का अब चाहे लाख छिपाना चाहें, वो छिप नहीं सकता। देश में यह संदेश साफ जा चुका है कि अडानी-मोदी रिश्ते बहुत साफ हैं। इसे चाहकर भी नहीं छिपाया जा सकता।
Economist पत्रिका ने अड़ानी मामले पर कवर स्टोरी लिखी है । कवर पर मोदी और अड़ानी की तस्वीर छापा है । अंतरराष्ट्रीय मीडिया में क्या भारत की छवि बिगड़ रही है ? अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएं भी अड़ानी पर नकारात्मक रुख़ दिखा रही है ? क्या होगा असर भारत पर और भारतीय अर्थव्यवस्था पर ?
दुनियाभर में आर्थिक मामलों की प्रतिष्ठित पत्रिका द इकोनॉमिस्ट ने भारत में अडानी मामले पर तीखे सवाल किए हैं। उसने इस मामले को कवर स्टोरी बनाया है। उसने हिंडनबर्ग रिसर्च से उठने सवालों को और गहराई से उठाया। अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इस समय अडानी मामला और केंद्र सरकार की साख चर्चा का विषय है।
अडानी समूह पर लगे तमाम आरोपों के बीच नेशनल स्टॉक एक्सचेज ने अडानी की दो कंपनियों को निगरामी सिस्टम से हटा दिया है। यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है। दूसरी तरफ अडानी समूह के खिलाफ सरकार एजेंसियों की जांच की खबरें मीडिया में चारों तरफ से हैं लेकिन उन एजेंसियों ने अपनी तौर पर कोई घोषणा नहीं की है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश की जनता के नाम जारी अपील में कहा है कि अडानी को लेकर क्या संसद में कोई सवाल पूछना अपराध है। खड़गे ने ऐसे 10 सवाल किए हैं। जानिए क्या हैं वे सवालः
क्या कांग्रेस और नेहरू को कोसकर प्रधानंमंत्री मोदी अडानीगेट को छिपा सकते हैं। पिछले नौ साल से पीएम मोदी कांग्रेस और नेहरू को कोस रहे हैं। लेकिन सच को सामने आने से नहीं रोका जा सका।
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों के भाव गिरने का सिलसिला रुकता दिख रहा है तो अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की रिपोर्टों के बाद स्थिति क्यों फिर ख़राब हो जा रही है?
अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के ख़िलाफ़ क़ानूनी लड़ाई के लिए अडानी समूह ने क्या अब कमर कस ली है? जानिए अमेरिका की बेहद महंगी लॉ फर्म को हायर किए जाने की रिपोर्ट क्यों आ रही है।
प्रधानमंत्री मोदी आज गुरुवार को राज्यसभा में डेढ़ घंटे तक धाराप्रवाह बोलते रहे। निशाने पर कांग्रेस से भी ज्यादा गांधी-नेहरू परिवार था। अडानी मुद्दा आज भी उनके भाषण से गायब रहा। लेकिन विपक्ष ने पूरी ईमानदारी से अडानी मुद्दे को नारे के जरिए पूरी दुनिया में पहुंचा दिया। लोकसभा में राहुल तो राज्यसभा में विपक्ष के नारे बीजेपी को बहुत समय तक परेशान करने वाले हैं।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री मोदी ने आज गुरुवार को राज्यसभा में विपक्ष के कई आरोपों का जवाब दिया। लेकिन आज की जो खास बात है वो ये कि पीएम का पूरा भाषण विपक्षी नारों के बीच हुआ। विपक्ष ने अडानी से पीएम को जोड़कर करप्शन के नारे खुलेआम लगाए, जिसे पूरी दुनिया ने देखा और सुना।
अडानी समूह की कंपनियों में फ्रांस की टोटल एनर्जी कंपनी का सबसे ज्यादा निवेश है। हाल ही में दोनों कंपनियों के बीच हाइड्रोजन प्रोजेक्ट को लेकर डील हुई थी लेकिन उस पर हस्ताक्षर बाकी हैं। टोटल ने कहा है कि फिलहाल इस डील पर हस्ताक्षर नहीं किए जा रहे हैं।