हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद विवादों में आए अडानी समूह के शेयरों का गिरना आज भी जारी रहा और अब तक इनकी क़ीमत क़रीब आधी रह गई है। जानिए, शेयर बाज़ार में कैसी है स्थिति।
केंद्र सरकार शुक्रवार को पहली बार अडानी ग्रुप के मामले में बोली है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार का अडानी मामले से कुछ भी लेना देना नहीं है।
अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज के इंडेक्स से अडानी ग्रुप की सभी कंपनियां हटा दी जाएंगी। इसका सीधा सा मतलब है कि अब अमेरिका के लोग अडानी ग्रुप में डाउ जोंस के जरिए निवेश नहीं कर पाएंगे।
संसद का बजट सत्र जारी है। सरकार अडानी पर उठे सवालों पर विपक्ष को चर्चा नहीं करने दे रही है। आज शुक्रवार को लगातार दूसरा दिन है, जो हंगामे की भेंट चढ़ गया। समूचे विपक्ष ने नोटिस देकर चर्चा की मांग की लेकिन सरकार ने चर्चा नहीं होने दी।
अडानी पर लगे आरोपों पर केंद्र सरकार का औपचारिक बयान गुरुवार को न संसद में आया और न संसद के बाहर। कांग्रेस ने कहा कि राहुल गांधी समय-समय पर सरकार को चेतावनी देते रहे हैं। लेकिन सरकार ने उन आरोपों पर कभी ध्यान नहीं दिया। विपक्ष ने आज गुरुवार को संसद के बाहर और अंदर सरकार से सवाल किए, जवाब मांगा।
रिपोर्ट आने के बाद से अडानी
समूह की मुश्किलें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। एक तरफ उसके शेयरों में लगातार
गिरावट जारी है पिछले एक हफ्ते में उसकी मार्केट कैपटालाइजेशन 19.8 लाख करोड़ से घटकर
11.2 लाख करोड़ पर आ गई है।
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद विवादों में आए अडानी समूह पिछले एक हफ्ते में 1 ख़रब डॉलर गँवा चुका है। जानिए, शेयर बाज़ार में इसकी कंपनियों की कैसी है स्थिति।
भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों से अडानी समूह के बारे में गुरुवार को सूचनाएं मांगी हैं। आरबीआई जानना चाहता है कि किन बैंकों ने अडानी कंपनियों में निवेश कर रखा है। सेबी भी कथित तौर पर जांच कर रहा है। सत्य हिन्दी पर अडानी की खबरों का अपडेट जानते रहिए।
अडानी समूह का संकट बढ़ता जा रहा है। सिटी बैंक वेल्थ ने आज गुरुवार को उसकी सिक्योरिटीज को बैन कर दिया। सत्य हिन्दी की साइट पर अडानी से जुड़ी खबरों के लिए जुड़े रहें।
हिंडनबर्ग रिसर्च के बाद शेयर बाज़ार में शेयरों के दाम धड़ाम गिरने के बीच अडानी एंटरप्राइजेज ने आख़िर अपना एफ़पीओ वापस क्यों लिया? जानिए अब निवेशकों के पैसे का क्या होगा।
अडानी समूह ने रविवार को हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट पर अपनी सफाई पेश की थी। हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट ने आज सोमवार 30 जनवरी को अडानी समूह के जवाब पर सवाल खड़े किए और कहा कि अडानी समूह राष्ट्रवाद की आड़ नहीं ले।