दिल्ली में बीजेपी का चेहरा बनने के लिए पार्टी नेताओं के बीच लड़ाई चल रही है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी के एक बयान के बाद यह लड़ाई और तेज होने का डर है।
दिल्ली की हवा ज़हरीली है। इससे निपटने के लिए शहरी विकास मंत्रालय की संसदीय स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में न तो अधिकतर अफ़सर आए और न ही स्थानीय सांसद। गौतम गंभीर की जलेबी खाते तसवीरें आने पर विवाद हो गया।
महाराष्ट्र और हरियाणा के नतीजों के बाद बीजेपी इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाई कि वह झारखंड के साथ दिल्ली में भी चुनाव करा ले। दिल्ली में उसे अब राम मंदिर पर कोर्ट के फ़ैसले से ही उम्मीद है।
फ़िल्म 'सांड की आँख' में कुछ पाने का जुनून है, जज़्बा है और सपने पूरे करने की ललक है। यह फ़िल्म दो तेज़-तर्रार शूटर चन्द्रो तोमर व प्रकाशी तोमर के जीवन और शूटर बनने की उनकी कहानी पर आधारित है।
अगर कोई यह पूछे कि भारत में सबसे ज़्यादा पैंतरेबाज़ राजनीतिज्ञ कौन है तो शायद कुछ लोग लालू यादव का नाम लें तो कुछ मायावती या फिर मुलायम सिंह यादव को भी याद कर सकते हैं। लेकिन मोदी और केजरीवाल का क्या?
दिल्ली में हुए कुछ पिछले चुनावों के आँकड़ों से यह समझा जा सकता है कि अगर ‘आप’ और कांग्रेस का गठबंधन होता तो बीजेपी के लिए ख़ासी मुश्किल पैदा हो सकती थी।
आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं हो पाया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या दिल्ली में बीजेपी को जिताना चाहती हैं आम आदमी पार्टी और कांग्रेस? देखिये वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष की रिपोर्ट।
दिल्ली में गठबंधन की बातचीत टूटने के बाद अरविंद केजरीवाल को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराने से जुड़ा राहुल गाँधी के बयान और उस पर दिल्ली के मुख्यमंत्री का पलटवार आख़ि क्या साबित करता है?
कांग्रेस मुसलिम वोटों के सहारे ‘आप’ से अपनी सियासी ज़मीन छीनने की कोशिश कर रही है। रणनीति के तहत कांग्रेस उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर मुसलिम प्रत्याशी उतार सकती है।