कांग्रेस पार्टी आखिर किस दुविधा का शिकार है। संवैधानिक संस्थाओं को बचाने की मुहिम को लेकर उसकी सोच और एक्शन में विरोधाभास क्यों है। जिन तमाम महान संसदीय परंपराओं को उसने बनाया है, उसे बचाना उसकी ही जिम्मेदारी है। जानिए लेखक-पत्रकार अपूर्वानंद और क्या कहना चाहते हैंः
आम आदमी पार्टी चारों तरफ से आरोपों में घिर गई है। उसके दो महत्वपूर्ण नेता मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन जेल में हैं। ऐसे में करप्शन के खिलाफ जिस पार्टी को जनता सत्ता के केंद्र में लाई थी, उसके साथ जनता का कैसा सलूक होना चाहिए। पढ़िए, जाने-माने पत्रकार श्रवण गर्ग बता रहे हैं कि वो आप के साथ क्यों नहीं जुड़ेः
सीबीआई की विशेष अदालत एमके नागपाल की कोर्ट में मनीष सिसोदिया की तरफ से वरिष्ठ वकील दयनकृष्णन और सिद्धार्थ अग्रवाल कोर्ट में पेश हुए। सीबीआई ने सिसोदिया की फिर से 3 दिन की रिमांड मांगी
मध्य प्रदेश में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कुल 230 सीटों में से कांग्रेस 114 सीटों पर जीत के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी और भाजपा को 109 सीटें मिली थीं।
विपक्षी नेताओं पर छापेमारी, गिरफ़्तारियाँ मोदी राज की पहचान क्यों बन गया है? क्या मोदी जाँच एजंसियों के आतंक के बल पर राज करना चाहते हैं? विपक्ष को डरा-धमकाकर, उन्हें परेशान करके वे क्या हासिल कर रहे हैं? क्या राज करने के इन हथकंडों से लोकतंत्र ख़तरे में नहीं पड़ गया है? ऐसे में कैसे बचेगा लोकतंत्र?
भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार हुए दिल्ली के मंत्रियों सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया। क्या यह अंतरात्मा की आवाज़ है? मोदी सरकार का दबाव है? या अरविंद केजरीवाल कोई संकेत देना चाहते हैं? आलोक जोशी के साथ मनोज मिश्रा, विनोद अग्निहोत्री, सबा नक़वी, सतीश के सिंह और मुकेश कुमार सिंह
मनीष सिसोदिया की गिरफ़्तारी के पीछे मोदी-शाह का एजेंडा क्या है? क्या वे शिवसेना की तरह आप को भी निपटाना चाहते हैं? क्या उन्होंने अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को ख़त्म करने के लिए आख़िरी चोट कर दी है? अब केजरीवाल दिल्ली सरकार कैसे चलाएँगे?
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी दिल्ली शराब घोटाले के सबूत नष्ट किए जाने पर हुई है। दिल्ली शराब घोटाले कि आंच अभी कई लोगों तक पहुंचना बाकी है।
सत्ता के लिए राजनीतिक दल किस स्तर तक गिर सकते हैं, एमसीडी यानी दिल्ली नगर निगम का चुनाव उसका सबसे बड़ा प्रमाण है। किस राजनीतिक दल का नाम लें। कोई किसी से कम नहीं। शुचिता, मर्यादा, ईमानदारी, भ्रष्टाचार मुक्त दिल्ली की बात करने वाले बहुत घटिया राजनीति पर उतर आए हैं।
दिल्ली में एमसीडी का सत्ता संघर्ष बुधवार से शुरू हुआ था और आज शनिवार को भी जारी है। शनिवार को दोनों पक्षों की ओर से पुलिस में शिकायतें दी गई हैं। बीजेपी पर आरोप है कि उसने शनिवार को आप नेता आतिशी, दुर्गेश पाठक और मेयर शैली ओबरॉय को खलनायिका बताते हुए पोस्टर जारी किया।
एमसीडी की स्थाई समिति में कुल 18 सदस्य होते हैं, जिनमें 6 सदस्य पार्षदों के द्वारा चुने जाते हैं तो 12 सदस्य एमसीडी के अलग-अलग जोन से चुने जाते हैं। केंद्र सरकार ने सुचारू कामकाज के लिए एमसीडी को 12 प्रशासनिक जोन में बांटा हुआ है।