तपस्वी आश्रम के महंत परमहंस दास 6 दिसंबर को दोपहर 12 बजे अपनी चिता बनाकर आत्मदाह करने के निर्णय पर अटल थे लेकिन उससे पहले ही पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया।
बुलंदशहर में हुई हिंसा में शहीद हुए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की बहन ने कहा है कि उनके भाई की हत्या हुई है। उन्होंने कहा है कि यह पुलिस की साज़िश है।
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हिंसा राजनीतिक प्रशासन के पंगु होने के कारण तो नहीं है? आम लोगों की छोड़िए, बड़े अफ़सरों की शिकायतें भी नहीं सुनी जातीं? क्यों? बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह।
बुलंदशहर में हुई हिंसा में शहीद हुए इंस्पेक्टर सुबोध को मंगलवार को पुलिस अधिकारियों ने अंतिम विदाई दी। बवाल में उपद्रवियों ने सुबोध के सिर में गोली मार दी थी।
बुलंदशहर में गोकशी की अफ़वाह पर हुए बवाल में दो लोगों की मौत हो गई थी। जिस खेत में ये अवशेष मिले थे, वह इस महिला के परिवार का था। सुनिए महिला क्या कह रही है?
पश्चिम बंगाल में तेजी से पैर पसारने की नीति के तहत ही बीजेपी ने महज 5 पार्षदों के बल पर मेयर का चुनाव लड़ा। उसे शोभन चटर्जी से उम्मीद थी कि वे कुछ मदद करेंगे।
बुलंदशहर में सोमवार को जमकर हंगामा हुआ था और इसमें एक इंस्पेक्टर सहित दो लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने बजरंग दल के जिला संयोजक योगेश राज को पुलिस की एफआईआर में मुख्य आरोपी बनाया गया है।
इंस्पेक्टर सुबोध ने अख़लाक हत्याकांड की जाँच की थी। जाँच के दौरान ही उनका तबादला बनारस कर दिया गया था। गोकशी की अफ़वाह के चलते अख़लाक की हत्या कर दी गई थी।
बुलंदशहर में हुई हिंसा में स्थानीय लोगों ने 'भारत माता की जय' के नारे लगाए और जाम लगा दिया। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन वे नहीं माने।
बुलंदशहर में हिंसा के दौरान पुलिसकर्मियों और स्थानीय लोगों में जमकर झड़प हुई। पुलिसकर्मियों ने लोगों को समझाने की कोशिश की लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं थे।
बुलंदशहर में हिंसा हुई। लोगों का गुस्सा इतना चरम पर आ गया कि इन लोगों ने क़ानून अपने हाथ में ले लिया। उन्होंने पुलिस चौकी को फूंकने के साथ ही पुलिस पर भी पथराव किया।