अनुच्छेद 370 में बदलाव के 42 दिन बाद भी न तो सामान्य स्थिति बहाल हुई है और न ही लोगों में गिरफ़्तारी का ख़ौफ़ कम हुआ है। गिरफ़्तारी की जानकारी क्यों नहीं दी जा रही है?
क्या लिव-इन में रहना महिला के मानवाधिकारों का उल्लंघन है और उसके लिए ‘रखैल’ जैसी स्थिति है? कम से कम राजस्थान मानवाधिकार आयोग का एक आदेश तो ऐसा ही मानता है।
जम्मू-कश्मीर में 18 वर्षीय किशोर असरार अहमद की मौत हो गई है। सरकार ने इसकी पुष्टि कर दी है। उसके पिता का कहना है कि पेलेट गन और आँसू गैस के खोखे की चोट से मौत हुई है, पुलिस इससे इनकार करती है।
कांग्रेस के जिस डी. के. शिवकुमार की वजह से बी. एस. येदियुरप्पा लंबे समय तक मुख्यमंत्री बनने से महरूम रहे और उनकी इन उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा था अब उसी शिवकुमार की गिरफ़्तारी से येदियुरप्पा ‘चिंतित’ हैं।
नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस की सूची जारी कर दी गई है और 19 लाख उससे बाहर रह गए हैं। तो क्या ये सारे लोग विदेशी हैं? और क्या यह खेल पूरे देश में दुहराया जाएगा?
जिस बीजेपी ने एनआरसी को सबसे बड़ा च़ुनावी मुद्दा बनाया था और पूरे राज्य में इसकी लहर फैला दी थी, वह अब नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस का विरोध भला क्यों कर रही है?
एनआरसी की सूची से बाहर रह गए 19 लाख लोगों के पास क्या विकल्प हैं? उनके साथ क्या सलूक किया जाएगा और वे अंत में कहाँ जाएंगे, इस पर अलग अलग तरह की बातें कही जा रही हैं।
गुजरात के हीरा उद्योग में बीते दो साल से मंदी छाई हुई है। नोटबंदी के बाद शुरु हुआ संकट जीएसटी लागू होने के बाद और गहरा हो गया, 60 हज़ार लोगों की नौकरी चली गई है।