क्या दिल्ली पुलिस इस साल फरवरी में हुए सांप्रदायिक दंगों के बहाने समान नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ आन्दोलन चलाने वालों को फंसाना चाहती है? क्या उसका मक़सद दंगों की जाँच और उसके दोषियों को सज़ा दिलाना नहीं है?
क्या सरकार संसद में लिखित प्रश्न के उत्तर में चीनी घुसपैठ के मुद्दे पर झूठ बोल रही है? क्या गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय पूरे देश को आधिकारिक तौर पर गुमराह कर रहे हैं?
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू होने के बाद भी इस पर राजनीति थम नहीं रही है, न ही राम के राजनीतिक इस्तेमाल की कोशिश। बीजेपी के तीन सासंद-परवेश साहेब सिंह वर्मा, मनोज तिवारी और रवि किशन आगे बढ़ कर भव्य राम लीला का आयोजन कर रहे हैं।
केरल में विधानसभा चुनाव होने तक वामपंथी पार्टियों और कांग्रेस के बीच किसी भी स्तर पर ‘दोस्ती’ नहीं रहेगी और दोनों एक-दूसरे के राजनीतिक विरोधी की तरह बर्ताव करेंगे।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने सेक्युलरिज्म की अपनी बुनियादी राह को ‘छोड़कर’ सॉफ्ट हिन्दुत्व का झंडा उठा रखा है और आज तक ‘भगवा’ से परहेज करती दिखने वाली यह पार्टी भगवा रंग में रंगी नज़र आ रही है।
असम के धुबड़ी ज़िले में एक विदेशी ट्रिब्यूनल (एफ़टी) में सात मुसलिम असिस्टेंट गवर्नमेंट प्लीडर (एजीपी) को हटाकर जिस तरह हिंदू समुदाय के सात अधिवक्ताओं को नियुक्त किया गया है, उसकी तीव्र आलोचना हो रही है।
कंगना रनौत संजय राउत विवाद के बाद से शिवसेना-बीजेपी के बीच तनाव काफ़ी बढ़ गया है। कभी गठबंधन में शामिल देवेंद्र फडणवीस उद्धव ठाकरे की पार्टियाँ आमने सामने क्यों?
पड़ोसी बांग्लादेश के एक फ़ैसले ने दुर्गापूजा के त्योहारी से पहले पश्चिम बंगाल में आम लोगों के चेहरे खिल गए हैं। वह फ़ैसला है पद्मा नदीं की हिल्सा मछली पर के निर्यात पर लगी पाबंदी को अस्थायी रूप से हटाने का।
क्या दिल्ली पुलिस दिल्ली दंगों की आड़ में मोदी सरकार का खुलकर विरोध करने वालों को निशाना बना रही है? क्या दिल्ली दंगों के बहाने मोदी सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना करने वाले बुद्धिजीवियों को कठघरे में खड़ा कर रही है?