मध्य प्रदेश में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार एक दलित महिला द्वारा फाँसी लगाकर जान देने का मामला सामने आया है। आरोप है कि रेप की रिपोर्ट नहीं लिखी जा रही थी, उल्टे उसके परिजनों को ही पुलिस परेशान कर रही थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाथरस गैंगरेप मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। अदालत ने राज्य प्रशासन से सख्त लहजे में कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि पीड़िता के परिवार पर कोई भी किसी तरह का दबाव नहीं डाल सके।
हाथरस गैंगरेप मामले में मीडिया, आम लोगों के सवालों से बुरी तरह घिर चुकी योगी आदित्यनाथ सरकार की मुश्किलों को उसके अपने ही एक विधायक ने और बढ़ा दिया है।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने गुरूवार को दावा किया है कि हाथरस की दलित पीड़िता के विसरा की फ़ॉरेंसिक रिपोर्ट से यह पता चला है कि युवती के साथ बलात्कार या सामूहिक बलात्कार नहीं हुआ है।
हाथरस में सामूहिक बलात्कार के बाद मारी गई दलित युवती की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई है। इसमें यह साफ लिखा है कि उसकी रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर था और उसका गला भी दबाया गया।
क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी जैसी उससे जुड़े संगठन बाबरी मसजिद के विध्वंस के बाद किसी दूसरे मसजिद को निशाना नहीं बनाएंगे या यह सिर्फ उनकी 'टैक्टिकल रिट्रीट' है?
‘क्राइम स्टेट’ बनते जा रहे उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित परिवार की बेटी के साथ हुए जुल्मों का शोर अभी थमा भी नहीं था कि बलरामपुर से ऐसी ही ख़ौफ़नाक घटना सामने आई है।