कुछ दिनों की चुप्पी के बाद कंगना रनौत ने विजय दशमी के मौके पर ठाकरे पर ज़ोरदार हमला किया है। एक के बाद एक कई ताबड़तोड़ ट्वीट कर उन्होंने ठाकरे को काफी बुरा-भला कहा है।
एलजेपी नेता चिराग पासवान ने अब नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ बड़ा आरोप लगा दिया है। उन्होंने कहा है कि यदि उनकी पार्टी सरकार में आती है तो 'भ्रष्टाचार' मामले में नीतीश कुमार को जेल होगी।
तेजस्वी की रैलियों में उमड़ रही भीड़ और चिराग के पैने सियासी तीरों से घायल नीतीश कुमार इस सर्वे के सामने आने के बाद और बीजेपी के एक ताज़ा क़दम से शायद और परेशान हो सकते हैं।
कोरोना काल में इस बार दादर स्थित शिवाजी मैदान में शिवसेना की परंपरागत दशहरा रैली तो नहीं हुई लेकिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का भाषण हुआ। उन्होंने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार में अपनी पहली चुनावी सभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने कहा कि केन्द्र में यूपीए सरकार के रहते नीतीश कुमार को काम नहीं करने दिया जाता था। बकौल मोदी- नीतीश जी के दस साल बर्बाद कर दिये।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के विधायक राहुल लोधी ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। मध्य प्रदेश विधानसभा की 28 सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव के नतीजों से पहले बीजेपी ऐसा 'खेल' क्यों खेल रही है?
दशकों पुरानी आपसी प्रतिद्वंद्विता छोड़कर पहली बार साथ आईं जम्मू कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों ने फारूक अब्दुल्ला को गठबंधन का नेता चुना। गठबंधन ने अपना झंडा राज्य के पूर्व झंडे को अपनाया है।
हाथरस गैंगरेप केस के बाद इसी तरह का एक और मामला राजनीति के केंद्र में आ गया है। इस पर भी घात-प्रतिघात और आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं और राजनीतिक दल बिल्कुल संवेदनहीन होकर एक-दूसरे पर चोट कर रहे हैं।
चुप और गंभीर रहने वाले, नपा-तुला और बेहद ज़िम्मेदारी से बोलने वाले और राजनीतिक विरोधियों पर भी संतुलित टिप्पणी करने वाले नीतीश कुमार को क्या हो गया है? वह क्यों बार-बार आपा खो रहे हैं?
एबीपी न्यूज़-सी वोटर का दावा है कि यह सर्वे बिहार की सभी 243 सीटों पर किया गया और इस दौरान 30 हजार 678 लोगों से बात की गई। सर्वे 1 अक्टूबर से लेकर 23 अक्टूबर के बीच किया गया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहें या न चाहें, पर विधानसभा चुनाव में बेरोज़गारी एक मुद्दा बन ही गया है। राष्ट्रीय जनता दल ने शनिवार को जारी घोषणा पत्र में औपचारिक रूप से यह कहा गया है कि उसकी सरकार बनी तो 10 लाख लोगों को रोज़गार दिया जाएगा।
बिहार में 15 से 29 साल की उम्र के लगभग 27.6 प्रतिशत लोग ही किसी तरह के रोज़गार में है। बिहार को सोचना है कि उसका विधानसभा अनुच्छेद 370 पर काम करेगा या रोज़गार पर।
मोदी सरकार को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उस पर देश की जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोप लगते रहें। क्योंकि एक ताज़ा वाक़या इसी ओर इशारा करता है।