जिस पश्चिम बंगाल की छवि 'भद्रलोक बंगाली' की रही है, जहाँ राजनीतिक विरोध सैद्धांतिक मतभेद और बौद्धिक विमर्श तक सीमित रहा है, उस राज्य में राजनीतिक सरगर्मी इस रूप से बढ़ गई है कि विरोधियों को खुले आम गाली गलौच और हिंसा की धमकी दी जाने लगी है।
महाराष्ट्र के ग्राम पंचायत चुनाव में किसे सबसे ज़्यादा सीटें मिली हैं, इसे लेकर महा विकास अघाडी सरकार में शामिल तीनों दलों और बीजेपी के बीच जोरदार भिड़ंत हुई है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का एलान कर न सिर्फ बीजेपी के दाँव को उलट दिया है, बल्कि उसे उसी के जाल में फँसा दिया है।
दिल्ली हाई कोर्ट के फ़ैसले के बाद सूचना का अधिकार (आरटीआई) क़ानून अब पूरी तरह बेअसर हो जाएगा और स्वतंत्र हैसियत वाला केंद्रीय सूचना आयोग एक आम सरकारी महकमे की तरह हो जाएगा।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 जैसे-जैसे क़रीब आता जा रहा है, वैसे-वैसे तीन तरह के समूहों की भूमिका महत्वपूर्ण होती जा रही है। स्थानीय लोग इन्हें सिंडिकेट, तोलाबाज और कट मनी ग्रुप कहते हैं। इनका जाल पूरे बंगाल में गाँव से लेकर शहर तक फैला हुआ है।
क्या भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के पहले सांप्रदायिक आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहती है ताकि वह बहुसंख्यक हिन्दू वोटों को अपनी ओर खींच सके?