प्रतिभा सिंह, सुखविंदर सिंह सुक्खू और मुकेश अग्निहोत्री मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही मुख्यमंत्री को लेकर तस्वीर साफ हो जाएगी।
तरन तारन पाकिस्तान से लगता हुआ जिला है, इसलिए इस घटना को बेहद गंभीरता से लिया जा रहा है। पंजाब में पिछले कुछ महीनों के अंदर कई ऐसे वाकये हुए हैं जो आतंकवाद का दंश झेल चुके इस सरहदी सूबे के लिए ठीक नहीं हैं।
आदेश गुप्ता का यह बयान बीजेपी नेताओं के बीते दिनों आए उन बयानों से बिल्कुल उलट है जिनमें कहा गया था कि भले ही नगर निगम में उनकी सीटें कम आई हैं लेकिन मेयर बीजेपी का ही बनेगा।
अनुराग ठाकुर ने हमीरपुर जिले में बीजेपी के प्रत्याशियों को जिताने के लिए बहुत जोर लगाया लेकिन वह इसमें कामयाब नहीं हुए। बीजेपी समर्थकों ने उन्हें पार्टी में अंदरुनी लड़ाई के लिए भी जिम्मेदार ठहराया है।
प्रतिभा सिंह मंडी से सांसद होने के साथ ही प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष भी हैं, इसलिए इस बड़ी हार की जिम्मेदारी भी उनकी ही बनती है। क्या कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व मुख्यमंत्री का नाम फाइनल करते वक्त मंडी संसदीय क्षेत्र की विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को मिली हार को ध्यान में रखेगा?
क्या महा विकास आघाडी केंद्र सरकार को छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर दिए गए बयान के लिए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के खिलाफ कार्रवाई करने को मजबूर कर पाएगा?
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कुढ़नी में मिली जीत से बीजेपी का खुश होना स्वाभाविक है। इससे पहले गोपालगंज में भी उसे जीत मिली थी। लेकिन कुढ़नी में जेडीयू-महागठबंधन समर्थित उम्मीदवार की हार का क्या मतलब है?
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने तमाम कार्रवाई के साथ विवादित किताब ‘सामूहिक हिंसा एवं दाण्डिक न्याय पद्धति’ और फरहत खान की पीएचडी के कंटेट की जांच भी आरंभ कराई है। क्या है यह पूरा विवाद?
कांग्रेस भले ही 1995 से गुजरात की सत्ता से बाहर है लेकिन विधानसभा चुनाव में उसका वोट हमेशा 40 फीसद या इससे ज्यादा रहा था। लेकिन इस बार उसका वोट शेयर भी गिरा और सीटें भी। आखिर क्यों?
माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री पद के लिए बड़ी लड़ाई प्रतिभा सिंह, सुखविंदर सिंह सुक्खू और मुकेश अग्निहोत्री के बीच में होगी। देखना होगा कि कांग्रेस मुख्यमंत्री की कुर्सी किस नेता को सौंपती है।
गुजरात में चुनावी लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होती रही है। लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी के चुनाव मैदान में आने के बाद मुक़ाबला त्रिकोणीय हो गया था। लेकिन इसके बावजूद बीजेपी ने राज्य में प्रचंड बहुमत हासिल किया है।
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर दिया है। साल 1985 के बाद से ही हर विधानसभा चुनाव में हिमाचल में सत्ता बदलती रही है और इस बार भी ऐसा ही हुआ। अब देखना यह है कि कांग्रेस मुख्यमंत्री की कुर्सी पर किस नेता को बैठाती है।
बीजेपी के द्वारा केजरीवाल सरकार के कुछ मंत्रियों के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के मामलों को मुद्दा बना लेने की वजह से क्या आम आदमी पार्टी एमसीडी का चुनाव बड़े अंतर से नहीं जीत सकी?