देश भर के साथ ही पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए चुनाव आयोग ने 16 अप्रैल को कोलकाता में सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई है। माना जा रहा है कि इसमें कोरोना को लेकर बन रहे हालात पर चर्चा की जाएगी।
उत्तर प्रदेश बीजेपी ने अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ अभी से शुरू कर दी हैं और पंचायत चुनावों को सेमीफ़ाइनल मान कर उसे काफी गंभीरता से लिया है।
भारतीय किसान यूनियन ने यह कह कर सबको चौंका दिया है कि वह बीजेपी के ख़िलाफ़ नहीं है, पंचायत चुनाव में लोग जिसे चाहें, वोट दें। भारतीय किसान यूनियन के महासचिव युद्धवीर सिंह ने कहा है कि यूपी पंचायत चुनाव 2021 में लोग चाहें जिसे वोट दें।
महाराष्ट्र में 15 दिनों के लिए आज से कर्फ्यू जैसी पाबंदी लगेगी। सिर्फ़ ज़रूरी सेवाएँ ही जारी रहेंगी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को कोरोना संक्रमण को लेकर बन रहे हालात पर राज्य के लोगों को संबोधित किया।
अब जबकि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोरोना की वजह से उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2021 टालने की याचिका को खारिज कर दिया है, यह साफ हो गया है कि लोकतंत्र का यह महापर्व अपने नियत समय पर ही होगा।
चार चरणों में होने वाले उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2021 में 8.69 लाख से ज़्यादा पदों के लिए लोग चुने जाएंगे और इसके लिए 17 लाख से अधिक उम्मीदवार मैदान में होंगे, यह संभावना जताई जा रही है।
महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश के साथ ही गुजरात में भी कोरोना को लेकर हालात बेहद ख़राब हैं। गुजरात में अहमदाबाद से लेकर सूरत तक से बेहद ख़राब तसवीरें सामने आ रही हैं।
नरेंद्र मोदी की चाय दुकान से प्रधानमंत्री बनने तक के सफ़र और उनकी कामयाबी से प्रेरणा लेकर उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर की रहने वाले मीनाक्षी ने भी ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने का निर्णय लिया और राजनीति में कूद पड़ीं।
यह जान कर आपको ताज्जुब हो कि पंचायत विकास कोष का बजट कुछ मामलों में सांसद निधि कोष से भी ज़्यादा है। हर साल सांसद को अपने क्षेत्र के विकास के लिए पाँच करोड़ रुपए मिलते हैं। कई मामलों में पंचायत क्षे विकास के लिए इससे ज़्यादा रकम मिलती है।
चुनाव आयोग ने बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष से कहा है कि वे “और होंगी शीतलकुची जैसी घटनाएं” वाले बयान को लेकर अपना स्पष्टीकरण दें। उन्हें इसके लिए बुधवार सुबह 10 बजे तक का समय दिया गया है।
चुनाव में मतदाताओं को रिझाने के लिए शराब पिलाने की बात तो पुरानी हो चुकी है, लेकिन समोसा जलेबी! जी हाँ। यह चौंकने की नहीं, लेकिन हँसने या अपना सिर पीट लेने की बात ज़रूर है।
छोटे व स्थानीय स्तर पर होने वाले उत्तर प्रदेश पंचायत चुनावों में वही गहमगहमी, राजनीतिक दाँव पेंच, घात-प्रतिघात और आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं, जो विधानसभा चुनावों में होते हैं।