मणिपुर में हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। इस बीच वहां मेइती और कुकी-ज़ो समुदायों को अलग-अलग करने की मांग भी उठी है। वहां के एक जनजातीय संगठन ने सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि इस समस्या का एकमात्र समाधान दोनों समुदायों को अलग-अलग करना है।
मणिपुर में कई दिनों से जारी हिंसा को रोकने का प्रयास आख़िर सफल होता क्यों नहीं दिख रहा है? जानिए ताज़ा हिंसा और मेइती व कुकी के शांति समिति से हटने की वजह क्या है।
क्या मणिपुर में शांति के प्रयास लाने में क्या केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से चूक हो रही है? आखिर शांति समिति को लेकर संदेह के बादल क्यों छा गए? जानिए आख़िर कुकी की आपत्ति किस बात को लेकर है।
भाजपा शासित मणिपुर में बदतर होते हालात के बीज केंद्र सरकार ने आज शनिवार को शांति समित गठित करने की घोषणा की है। पिछले एक हफ्ते से मणिपुर से हिंसा की खबरें लगातार आ रही हैं। राज्य में एक महीने से नागरिक प्रशासन ठप होकर रह गया है।
भाजपा शासित मणिपुर में हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। हमलावर या आतंकी पुलिस की वर्दी में आते हैं और किसी न किसी गांव को टारगेट करते हैं। उनके पास पुलिस वाली जिप्सी गाड़ी भी है, जिसे ग्रामीण पुलिस वाहन समझकर रास्ता देते हैं लेकिन जवाब में गोलियों की बौछार हो रही है।
मणिपुर में हिंसा जारी है। रविवार को हुई एक वीभत्स घटना सामने आई है। वहां एंबुलेंस में तीन लोगों को जिन्दा जला दिया गया है। मणिपुर हिंसा के विरोध में आज दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास के बाहर कुछ लोगों ने प्रदर्शन भी किया।
मणिपुर में केंद्र सरकार के हाल के शांति के प्रयासों के बीच हिंसा रुकी है, तो फिर अब खाली पड़े राहत शिविरों को क्यों जलाया जा रहा है? विद्रोहियों के हमले क्यों हो रहे हैं?