मणिपुर में आदिवासी समूहों की एक जन रैली को लेकर हिंसा की ख़बर के बाद राज्य के गृह विभाग ने जिलाधिकारियों से कहा है कि वे देखते ही गोली मारने के आदेश जारी करें। हालाँकि, इस आदेश के साथ एक शर्त भी लगाई गई है। इसमें कहा गया है कि देखते ही गोली मारने का आदेश उस मामले में लागू हो जहाँ एक्स्ट्रीम हालात पैदा हो जाएँ, जिसमें सभी प्रकार के अनुनय, चेतावनी, उचित बल, आदि कानून के प्रावधानों के तहत विकल्प ख़त्म हो गए हों।
बता दें कि मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने पर मणिपुर में हिंसा भड़क उठी है। वहां गुरुवार सुबह सेना बुलाई गई है जो अब शांति स्थापित करने के लिए फ्लैग मार्च कर रही है। मणिपुर में बीजेपी की सरकार है। मेइती समुदाय को अदालत के आदेश पर अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया है। आदेश के खिलाफ राज्य के जनजातीय समूहों में विरोध हो रहा है। जमकर राजनीति हो रही है।
इससे पहले दिन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति का जायजा लेने के लिए मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से बात की।
My humble appeal to everyone in the State to cooperate with the Government in maintaining peace & harmony at this hour. pic.twitter.com/qViqbuflWr
— N.Biren Singh (@NBirenSingh) May 4, 2023
"My State Is Burning, Kindly Help…"@MangteC’s tweets Over #Manipur Violence pic.twitter.com/DZigOD1afv
— Mamta Gusain (@Mamtagusain5) May 4, 2023
मेइती, जो राज्य की आबादी का 53% हिस्सा हैं, मणिपुर वैली में रहते हैं और दावा करते हैं कि उन्हें "म्यांमार और बांग्लादेशियों द्वारा बड़े पैमाने पर अवैध आप्रवासन" के मद्देनजर कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
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