मणिपुर हिंसा में मृतकों की संख्या अब बढ़कर 54 हो गई है। राज्य के चुराचंदपुर में उस समय चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जब सुरक्षा बल इलाक़े से मेइती लोगों को निकाल रहे थे। मेइती लोगों को इसलिए निकाला जा रहा है क्योंकि कुकी और मेइती के बीच झड़प हुई है और उन समुदायों के एक दूसरे क्षेत्रों में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय को निकाला जा रहा है।
इस बीच, आईआरएस यानी इंडियन रेवेन्यू सर्विस एसोसिएशन ने कहा है कि इंफाल में लेमिनथांग हाओकिप के रूप में पहचाने गए एक कर सहायक की हत्या कर दी गई है। उन्होंने ट्वीट किया है, 'कोई कारण या विचारधारा ड्यूटी पर एक निर्दोष लोक सेवक की हत्या को सही नहीं ठहरा सकती।' इसके साथ ही अधिकारियों ने कहा है कि मणिपुर हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 54 हो गई, हालांकि अनौपचारिक सूत्रों ने इससे अलग आँकड़े बताए हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने कहा है कि 16 शव चुराचंदपुर जिला अस्पताल के मुर्दाघर में, 15 शव इम्फाल पूर्वी जिले के जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान में रखे थे। जबकि इंफाल पश्चिम जिले के लाम्फेल में क्षेत्रीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान ने 23 लोगों के मरने की सूचना दी है।
चुराचंदपुर में फायरिंग की यह घटना राज्य के बहुसंख्यक मेइती समुदाय और कुकी जनजाति के बीच भयंकर संघर्ष के बाद हुई है। शूटिंग तब हुई जब आदिवासियों ने क्षेत्र से मेइती को निकालने में कथित रूप से हस्तक्षेप करने की कोशिश की।
चुराचंदपुर निवासी और शोधकर्ता मुआन हंससिंह (24) ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कस्बे में अशांति शुक्रवार शाम करीब 7 बजे शुरू हुई। उन्होंने कहा, 'सुरक्षाकर्मियों की तैनाती के कारण लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। शाम करीब 7 बजे हमें सूचना मिली कि सुरक्षाकर्मी कस्बे में फंसे मेइती लोगों को निकालने जा रहे हैं। लोग इसके विरोध में शहर की मुख्य सड़क, तिदिम रोड पर बैरिकेडिंग करने के लिए जुटे। हमने महिलाओं को बैरिकेड्स के सामने खड़ा कर दिया क्योंकि हमने सोचा था कि उन पर गोली नहीं चलाई जाएगी। लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने गोलियां चलाईं और चार लोगों की मौत हो गई।'
केंद्रीय सुरक्षा बलों के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी चार लोगों के मारे जाने की पुष्टि की, जबकि जिले के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने यह संख्या तीन बताई।
इस बीच सीआरपीएफ़ के डीआईजी (ऑपरेशंस) ने अपने बल को एक आंतरिक संचार में लिखा है कि मणिपुर में मौजूदा कानून और व्यवस्था की स्थिति के दौरान छुट्टी पर सीआरपीएफ कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। बता दें कि एक दिन पहले ही छुट्टी पर घर गए सीआरपीएफ के एक कांस्टेबल की तब गोली मारकर हत्या कर दी गई जब उन्होंने एक गांव में आग लगाने वाले लोगों को रोकने की कोशिश की थी।
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