मणिपुर से अच्छी खबर आई है। बुधवार यहां के सबसे पुराने विद्रोही सशस्त्र ग्रुप यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट या यूएनएलएफ हिंसा छोड़ने के लिए सहमत हो गया है। मणिपुर में यह गुट अब भी सक्रिय था जिसके कारण हिंसा की आशंक बनी रहती थी।
उसने यह फैसला केंद्र सरकार और मणिपुर सरकार के साथ हुए शांति समझौते के बाद लिया है। इसकी जानकारी गृहमंत्री अमित शाह ने भी सोशल मीडिया साइट एक्स पर दी है। इसके साथ ही करीब 6 दशकों से चल रहे सशस्त्र संघर्ष का अंत हो गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली में शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुआ है। यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट या यूएनएलएफ पर पहले से ही लगे प्रतिबंध को केंद्र सरकार ने पिछले 13 नवंबर को पांच वर्ष के लिए बढ़ा दिया था। यह प्रतिबंध देश विरोधी गतिविधियों और सुरक्षा बलों पर इनके द्वारा किये गये घातक हमले के बाद लगाया गया था।
गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया एक्स पर ट्विट कर लिखा है कि भारत सरकार और मणिपुर सरकार द्वारा यूएनएलएफ के साथ आज हुआ हस्ताक्षरित शांति समझौता, छह दशक लंबे सशस्त्र आंदोलन के अंत का प्रतीक है।
यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के सर्वसमावेशी विकास के दृष्टिकोण को साकार करने और पूर्वोत्तर भारत में युवाओं को बेहतर भविष्य प्रदान करने की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
गृहमंत्री ने बुधवार को लिखा है कि एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई है। पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के मोदी सरकार के अथक प्रयासों में एक नया अध्याय जुड़ गया है क्योंकि यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) ने आज नई दिल्ली में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
मणिपुर का सबसे पुराना घाटी स्थित सशस्त्र समूह यूएनएलएफ हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमत हो गया है। मैं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में उनका स्वागत करता हूं और शांति और प्रगति के पथ पर उनकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
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