भारतीय जनता पार्टी की हापुड़ ईकाई के महासचिव के ख़िलाफ़ पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है। उन्होंने हापुड़ के कोतवाल को गालियाँ दीं और एसपी को फो़न कर ‘बुलंदशहर जैसी स्थिति’ पैदा कर देने की धमकी दी थी। बुलंदशहर में गोकशी की अफ़वाह पर सैकड़ों लोंगों ने रास्ता जाम कर दिया, पुलिस चौकी आग लगा दी, गाड़ियां तोड़ दी, पुलिस पर पथराव किया और पुलिस से जम कर संघर्ष किया था। इस वारदात में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को किसी ने गोली मार दी थी और उनकी मौत हो गई थी। एक नागरिक भी मारा गया था। हापुड़ पुलिस सुपरिटेंडेंट के जन संपर्क अधिकारी संजीव शुक्ला ने पत्रकारों से कहा, ‘हापुड़ बीजेपी के महासचिव प्रमोद जिंदल ने एसपी संकल्प शर्मा को फ़ोन किया और हफ़ीजपुर के कोतवाल को गालियाँ दीं। वे अपने कुछ लोगों को छोड़ देने के लिए दबाव बना रहे थे। उन्होंने धमकी देते हुए कहा कि उनकी बात न मानी गई तो वे बुलंदशहर जैसी हालत कर देंगे।’
हफ़ीजपुर के कोतवाल सुभाष चंद्र गोयल ने कहा कि मारपीट के एक मामले में एफ़आईआर दर्ज़ होने पर दुष्यंत नामक एक आदमी को गिरफ़्तार किया गया था। जिंदल ने उसे छोड़ देने को कहा। इनकार करने पर बीजेपी के स्थानीय नेता थाना पँहुच गए और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की धमकी दी।
एसपी से बदतमीज़ी
जिंदल ने फ़ोन कर धमकाने और गालियाँ देने की बात स्वीकार की है। उन्होंने कहा. ‘मैंने एसपी को फ़ोन किया और बुलंदशहर जैसे हालात बना देने की बात कही। पर मैंने गुस्सा में आकर ऐसा कहा था, मेरी मंशा ऐसा करने की नहीं है। मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगा जिससे सरकार की छवि ख़राब होती हो।’जिंदल भले ही कुछ न करे, पर इस घटना से यह तो साफ़ हो ही जाता है कि कुछ ताक़तें जान बूझ कर और सोची समझी योजना के तहत सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने और माहौल खऱाब करने की हैसियत रखते हैं। वे ज़रूरत पड़ने पर ऐसा कर भी सकते हैं। इससे यह सवाल एक बार फिर उठता है कि बुलंदशहर की वारदात इसी तरह योजना बना कर तो नहीं की गई।
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