बुलंदशहर में हुई हिंसा में जान गँवाने वाले सुबोध कुमार सिंह ग्रेटर नोएडा के दादरी में हुए अख़लाक हत्याकांड मामले में जाँच अधिकारी रह चुके थे। आपको मालूम होगा कि 2015 में गोकशी की अफ़वाह के चलते अख़लाक की हत्या कर दी गई थी।यूपी के एटा के तरीगावा गाँव के रहने वाले सुबोध के पिता भी यूपी पुलिस में थे और पिता की मौत के बाद 1995 में उन्हें पुलिस विभाग में नौकरी मिली थी। सुबोध के दो बच्चे हैं, छोटा बेटा अभी स्कूल में है जबकि बड़ा बेटा नोएडा में रहकर इंजीनियरिंग कर रहा है।
यूपी के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार ने कहा, ‘सुबोध कुमार सिंह अख़लाक हत्याकांड मामले में 28 सितंबर 2015 से 9 नवंबर 2015 तक जाँच अधिकारी रहे थे।’ बाद में उनका तबादला बनारस कर दिया गया था। उस समय इस पर काफ़ी सवाल भी उठे थे। सुबोध उस समय नोएडा में जारचा पुलिस स्टेशन के प्रभारी थे। सुबोध की मौत ऐसे समय में हुई है जब दादरी मामले में एक बार फिर जाँच शुरू होने वाली है और स्थानीय अदालत में इसके 18 आरोपियों के ख़िलाफ़ सुनवाई चल रही है। ये सभी आरोपी ज़मानत पर बाहर हैं।
साहसी पुलिस अॉफ़िसर थे सुबोध
लखनऊ में तैनात पुलिस अधिकारी अनुराग सिंह के अनुसार वे सुबोध के साथ काम कर चुके थे। उन्होंने बताया कि सुबोध चुनौतियाँ पसंद करते थे और मौके से भागने वाले इंसान नहीं थे। अख़लाक की मौत के बाद भी वह कई बार उसके गाँव जाते थे और उन्होंने दोनों समुदायों के बीच शांति बनाए रखने के लिए कई बैठकें भी करवाई थीं। अख़लाक हत्याकांड में मार्च 2016 में चार्जशीट दाखिल की गई थी। इस हत्याकांड को लेकर देशभर में विवाद हुआ था।सुबोध की हत्या के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुबोध कुमार सिंह के परिवार वालों को 50 लाख की आर्थिक मदद देने की की घोषणा की। इस राशि में से 40 हज़ार सुबोध कुमार सिंह की पत्नी को और 10 लाख रुपये उनकी माता-पिता को देने का क्या एलान हुआ है। परिवार में एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का भी वादा किया गया है।|
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