पंजाब की राजनीति में हलचल तेज़ हो गई है। इसकी दो वज़हें हैं। एक तो बैंस बंधुओं और आम आदमी पार्टी के बाग़ी धड़े खैहरा गुट की ओर से इंसाफ़ मार्च की शुरुआत और दूसरी, दरबार साहिब में बादल परिवार की माफ़ी। यह माफ़ी चर्चा में है।
शिरोमणि अकाली दल में उठ रहे बग़ावत के स्वरों के बीच बादल परिवार पिछले दस सालों में हुई ग़लतियों की माफ़ी माँगने के लिए ख़ुद ही दरबार साहिब पहुँच गया। ख़ास बात यह रही कि बड़े बादल के साथ सुखबीर और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल भी अमृतसर में पहुँचे। सिख इतिहास में यह पहली बार है जब श्री अकाल तख्त साहिब पर किसी सियासी दल ने सामूहिक रूप से अपनी ग़लतियों के लिए बिना तलब किए माफ़ी माँगी है।
सिखों के सबसे बड़े धार्मिक स्थल अमृतसर के दरबार साहिब में बादल परिवार के आलावा सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया, डॉ. दलजीत सिंह चीमा, बीबी जागीर कौर और अन्य अकाली भी पहुँचे। अकाली शासन के दौरान गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी और बहिबल कलाँ गोलीकांड को लेकर इन दिनों बादल परिवार पंजाब के कट्टरपथियों के निशाने पर है। अकाली दल टूट के कगार पर है। सुखबीर बादल को लेकर सिख समाज में भी विरोध के स्वर उठे हैं। इसी वजह से बादल परिवार को अकाल तख्त से किसी कार्रवाई का पहले ही अंदेशा था, लिहाज़ा पूरा बादल परिवार आज दरबार साहिब अपनी ग़लतियों की माफ़ी मांगने पहुँच गया। और ख़ुद ही सजा भी तय कर ली।
जूते-बर्तन साफ़ किए
बादल परिवार ने दरबार साहिब के लंगर हॉल में बर्तनों को साफ़ करने के अलावा सिख श्रद्धालुओं के जूते भी साफ़ किए। इसके साथ ही अपने कार्यकाल के दस सालों के दौरान हुई ग़लतियों की माफ़ी के लिए आज श्री अकाल तख्त साहिब परिसर में श्री अखंड पाठ साहिब आरंभ करवाया है। इस अवसर पर अकाली नेताओं ने अरदास कर माफ़ी भी माँगी। पार्टी के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में अकाली दल और एसजीपीसी के अधिकारी इस पाठ में शामिल हुए। पार्टी की कार्यकारिणी कोर कमेटी और एसजीपीसी की कार्यकारिणी के सदस्य भी पाठ की शुरुआत में श्री अकाल तख्त पर मौजूद थे। पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल और अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल से अरदास के बाद पत्रकारों ने बात की।क्या है ग़लती माफ़ी की परंपरा?
आम तौर पर सिख श्री अकाल तख्त साहिब पर अपनी ग़लती को स्वीकार करते हैं और फिर ग़लती की माफ़ी के लिए श्री अकाल तख्त साहिब पर प्रार्थना पत्र देते हैं। इसके बाद पाँच सिंह साहिबान आरोपियों की ओर से स्वीकार की गई ग़लतियों पर विचार-चर्चा करके उनको धार्मिक रीति के अनुसार धार्मिक सज़ा सुनाते हैं। यहाँ तक कि संबंधित व्यक्तियों को पदों से हटने के आदेश भी दिए जाते हैं। फिर उनको सुनाई गई सजा पूरी करने के आदेश दिए जाते हैं। बाद में आदेशों के अनुसार अरदास, अखंड पाठ करने व कड़ाह प्रसाद की देग करने के आदेश होते हैं। लेकिन इस सारे माफ़ी प्रकरण में उस परंपरा को नहीं अपनाया गया।
माफ़ी की ज़रूरत क्यों पड़ी?
दरअसल, अकाली दल की साख बचाने के लिए ही बादल परिवार को आज यह कदम उठाना पड़ा है। सुखबीर बादल 2019 में पंजाब में अकाली दल का प्रभाव दिखाने के लिए जी-तोड़ कोशिशों में जुटे हैं। मौजूदा समय में अकाली दल पंजाब की राजनिति में तीसरे नंबर पर है और पार्टी का काडर व टकसाली नेता बिखरते जा रहे हैं। पंजाब में अकाली दल के कई नेता सुखबीर-मजीठिया की लीडरशिप से नाराज़ हो कर पार्टी को अलविदा कह चुके हैं।
पिछले अरसे के दौरान श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी और बहिबल कलां गोलीकांड के दोषियों को सजा दिलाने के लिए आप के बाग़ी विधायक सुखपाल खैहरा ने तलवंडी साबो से पटियाला तक निकाले जाने वाले इंसाफ़ मार्च को लेकर समागम की तलवंडी साबो से शुरुआत कर दी। बैंस बंधु भी इस मार्च में उनके साथ हैं। सांसद धर्मवीर गाँधी का भी उन्हें समर्थन हासिल है।
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