यूं तो रविवार को आईपीएल में मुकाबला कोलकाता नाइट राइडर्स बनाम सनराइजर्स हैदराबाद का है लेकिन दबाव न्यूज़ीलैंड के पूर्व कप्तान ब्रैंडन मैक्कलम पर भी कम नहीं है। आईपीएल के पहले सीज़न में सिर्फ 4 मैच खेलने वाले मैक्कलम ने पहले ही मैच में जो 158 रनों की धुंआंधार पारी खेली, वो इतिहास का हिस्सा है।
दरअसल, मैक्कलम हमेशा से समय से आगे सोचने और चलने वाले क्रिकेटर रहे हैं और यही वजह है कि शाहरुख़ ख़ान ने उन्हें दोबारा अपनी टीम में शामिल किया।
2020 में मैक्कलम ने कोशिश तो काफी की लेकिन टीम चैंपियन नहीं बन पायी और ऐसे में पिछले 6 साल के सूखे को उन पर ख़त्म करने का दबाव बहुत ज़्यादा है। आईपीएल में खिलाड़ियों के साथ फ्रैंचाइजी थोड़ा नरम हो भी जाती हैं लेकिन कोच के साथ रवैया बेहद सख़्त होता है।
हाई प्रोफाइल कोच
पिछली बार मैक्कलम के साथ साथ राजस्थान रॉयल्स के एंड्रयू मैक्डोनल्ड भी कोच के तौर पर अपने पहले सीज़न में शामिल हुए, लेकिन नाकामी के बाद उन्हें इस बार बुलाया ही नहीं गया।
लेकिन, मैक्कलम डेल्ही कैपिटल्स के रिकी पोटिंग और मुंबई के माहेला जयावर्दने की तरह एक हाई प्रोफाइल कोच हैं और शाहरुख़ उनके साथ इतना कड़ा रुख़ ना अपनायें। पिछली बार आईपीएल में आने से पहले मैक्कलम ने शाहरुख की ही एक और टी20 टीम नाइट राइडर्स के लिए कैरेबियन प्रीमियर लीग में तहलका मचाते हुए बिना कोई एक मैच गवांये टूर्नामेंट जीता था।
लेकिन, आईपीएल में वो इसके करीब भी नहीं पहुंच पाये थे। पिछले साल दिनेश कार्तिक और मार्गन के बीच कप्तानी को लेकर मैक्कलम ने जो उलझन दिखायी वो उनकी शख्सियत से मेल नहीं खाती दिखी।
लेकिन, इस सीज़न उम्मीद की जानी चाहिए कि मैक्कलम फिर से वही भूल नहीं दोहरायेंगे।
पिछले एक दशक में आईपीएल में खिलाड़ी के तौर पर मैक्कलम ने कोलकाता के अलावा चेन्नई सुपर किंग्स, गुजरात लॉयंस, कोच्चि टस्कर्स केरला और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर का भी हिस्सा रह चुके हैं।
बोल्ड क्रिकेट
खिलाड़ी, कप्तान, लीडर और कोच के तौर पर मैक्कलम अपने साथियों को बोल्ड क्रिकेट खेलने की सलाह देते हैं, नाज़ुक फैसले लेने के समय जुआ खेलने से भी नहीं हिचकते हैं और यही अंदाज़ उन्हें ख़ास बनाता है। लेकिन, इस बार मैक्कलम के सामने कई चुनौतियां है।
कुलदीप यादव जैसा तुरुप का इक्का पिछले एक साल से भी ज़्यादा समय से संघर्ष करता दिख रहा है तो हरभजन सिंह को टीम में शामिल तो ज़रूर किया गया है। लेकिन एक साल से उन्होंने क्रिकेट की गेंद को हाथ नहीं लगाया है।
एक और दिग्गज स्पिनर शकीब उल हसन भी बैन के चलते लंबे समय तक क्रिकेट से दूर रहें हैं तो मिस्ट्री स्पिनर वरुन चक्रवर्ती के लिए पिछले कुछ महीने मायूसी से भरे रहें हैं। ऐसे में कोच के तौर पर मैक्कलम को अचानक से ही इस टीम को विनिंग यूनिट में तब्दील करना आसान नहीं होगा।
कोलकाता ने अब तक 2 बार आईपीएल जीता है लेकिन 6 साल बाद एक और ट्रॉपी जीतने के लिए ना सिर्फ मैक्कलम बल्कि उनके युवा खिलाड़ियों को भी ऐड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा।
अपनी राय बतायें