किसी एक टी20 सीरीज़ में श्रेयस अय्यर से ज़्यादा रन भारतीय इतिहास में किसी भी बल्लेबाज़ ने नहीं बनाये हैं। मुंबई के अय्यर ने हाल ही में श्रीलंका के ख़िलाफ़ तीन मैचों की सीरीज़ के हर मैच में ना सिर्फ नाज़ुक लम्हों पर अर्धशतक बनाया बल्कि वो हर बार नॉट आउट होकर मैदान से लौटे। मैन ऑफ द सीरीज़ का ख़िताब मिला। 204 रन और वो भी 174 के स्ट्राइक रेट से। ये करिश्मा तो विराट कोहली भी नहीं कर पाये। ऐसे में तो क्या मान लिया जाए कि इस साल अक्टबूर-नवंबर में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप के लिए भारत को जैसे नंबर 3 की तलाश थी वो पूरी हो गयी है?
मैं जानता हूं कि आप सभी लोग इस बात से चौंक गये हैं कि मैं टीम इंडिया में नंबर 3 के लिए अय्यर की बात कर रहा हूं क्योंकि आप ही नहीं पूरी दुनिया में किसी से भी सवाल किया जाए कि किसी भी फॉर्मेट में भारत के लिए नंबर 3 के तौर पर सबसे बेहतरीन बल्लेबाज़ कौन हैं तो निःसंदेह जवाब कोहली ही होगा।
दरअसल, यही अय्यर के करियर की समस्या है। पिछले कुछ सालों में फिटनेस के फ्रंट पर लगातार संघर्ष करने के बावजूद अय्यर ने खुद को भविष्य के लिए ऑल-फॉर्मेट बल्लेबाज़ होने का तगड़ा दावा पेश किया है लेकिन हर बार उनकी राह में कोई ना कोई ऐसा रोड़ा आ जाता है जिसे कोई भी हटाने की कोशिश नहीं करता है। अब आप खुद सोचिये कि भला रोहित शर्मा या फिर राहुल द्रविड़ ये बात पूर्व कप्तान कोहली को कैसे कह सकते हैं कि 6 महीने बाद अय्यर तीसरे नंबर पर बल्लेबाज़ी करेंगे। इसमें कसूर ना तो कोहली का है (वो तो श्रीलंका के ख़िलाफ़ सीरीज़ में आराम कर रहे थे क्योंकि उन्हें आराम करने को कहा गया था), ना ही अय्यर का (जिन्होंने इस मौक़े पर चौका नहीं बल्कि छक्का जड़ा) और ना ही कप्तान-कोच का होगा क्योंकि कोहली ना सिर्फ तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ असाधारण रिकॉर्ड रखते हैं बल्कि ऑस्ट्रेलिया में भी उनका रिकॉर्ड शानदार है। लेकिन, अय्यर ने प्रेस कांफ्रेस में पूछने पर ये हिचकिचाहट नहीं दिखाई कि अगर उनसे पूछा जाए कि उन्हें किस नंबर पर बल्लेबाज़ी करना पसंद है तो उन्होंने नंबर 3 का जिक्र किया।
अब बिल्ली के गले में घंटी बांधने जैसा है। पिछले 15 सालों में बड़े टूर्नामेंट में ख़ासकर, टी20 वर्ल्ड कप में हार की वजह है टॉप ऑर्डर में एक शैली में बल्लेबाज़ी करने वाले खिलाड़ियों का एक साथ इकट्ठा होना। रोहित शर्मा और शिखर धवन टी20 में धीमी शुरुआत के लिए जाने जाते हैं और अब धवन के बदले टीम में आये के एल राहुल की भी कमोबेश ऐसी ही पहचान है।
तीसरे नंबर पर कोहली भी जमने के लिए वक़्त लेते हैं। और होता ये है कि जो सबसे फायदे वाले पहले 6 ओवर होते हैं वहां टीम इंडिया बेखौफ़ तरीक़े से आक्रमण नहीं कर पाती है।
कोहली को इसलिये दोष नहीं दिया जा सकता है क्योंकि अगर विकेट जल्दी गिरता है तो उन्हें संभल कर खेलना ज़रूरी हो जाता है। लेकिन, अय्यर ने श्रीलंका के ख़िलाफ़ ना सिर्फ ये कहा बल्कि ये दिखाया कि टी20 फ़ॉर्मेट में डॉट बॉल (जिस पर कोई रन ना बने), एक तरह से अपराध है। एक तरह से देखा जाए तो ये अपरोक्ष तरीके से कोहली पर की गयी एक तीखी टिप्पणी भी हो सकती है।
अय्यर से ज़्यादा सकारात्मक सोच रखने वाला खिलाड़ी आपको फिलहाल भारत में शायद ही मिले। 2018 में अचानक ही उन्हें रिकी पोटिंग ने दिल्ली कैपिटल्स की कप्तानी दिलवायी और अगले ही साल उनकी टीम ने प्ले-ऑफ यानी कि अंतिम 4 में जगह बनायी, वो भी 7 साल के अंतराल पर। 2020 के पहले हॉफ में वो चोटिल होने के चलते कप्तानी नहीं कर पाये और ऋषभ पंत को ये जिम्मेदारी मिली लेकिन जब अय्यर फिट होकर भी आये तब भी उनकी कप्तानी उन्हें मिली नहीं। लेकिन, उससे वो मायूस नहीं हुए और न इस बात के लिए नाराज़ हुए कि दिल्ली ने 2021 के बाद उन्हें रिटेन नहीं किया।
इस साल कोलकाता नाइट राइडर्स ने ना सिर्फ उन्हें 12.25 करोड़ में खरीदा बल्कि कप्तान भी बना दिया। कहने का मतलब ये है कि अय्यर वक्त का इतंज़ार ही नहीं सम्मान भी करते हैं। उन्हें अपनी काबिलियत पर ये भरोसा है कि आज नहीं तो कल, उन्हें वो ज़रूर हासिल होगा जिसके वो वाकई हकदार हैं।
लेकिन, अय्यर की चुनौती सिर्फ कोहली जैसे विराट खिलाड़ी से नहीं बल्कि पंत, राहुल और सूर्यकुमार यादव जैसे समकालीन खिलाड़ियों से भी है जो श्रीलंका के ख़िलाफ़ सीरीज़ में नहीं खेल रहे थे। ये वो खिलाड़ी हैं जिनका वर्ल्ड कप के लिए प्लेइंग इलेवन में होना फिलहाल तय दिखता है।
ऐसे में अय्यर का मुकाबला 6ठे नंबर पर वेंकटेश अय्यर, हार्दिक पंड्या, दीपक हुडा जैसे ऑल-राउंडर्स से है जो कुछ ओवर की गेंदबाज़ी भी कर लेतें हैं। ऐसे में ये बड़ा दिलचस्प होगा कि रोहित शर्मा और द्रविड़ की सोच दरअसल अय्यर की बैटिंग पोज़िशन को लेकर है क्या।
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