पुलवामा हमले के बाद देश के अंदर ‘राष्ट्रवादी’ ताक़तें और टीवी एंकर हर उस आदमी को देशद्रोही बताने में लगे हैं, जो पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह की बातचीत के पक्ष में है। इन लोगों का यह भी कहना है कि भारत को पाकिस्तान के साथ तमाम खेल सम्बन्ध तोड़ लेने चाहिए। भारत को पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच भी नहीं खेलना चाहिए। ऐसे में पूर्व क्रिकेट कप्तान सौरभ गांगुली समेत खिलाड़ियों का एक बड़ा तबक़ा है जो कहता है कि पाकिस्तानियों के साथ क्रिकेट ही नहीं, हॉकी-फ़ुटबॉल जैसे दूसरे खेल भी बन्द कर देना चाहिए और सारे रिश्ते तोड़ लेने चाहिए।
शुक्रवार की शाम क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले भारत रत्न सचिन तेंडुलकर ने यह कह कर सनसनी मचा दी कि क्रिकेट विश्व कप में भारत को पाकिस्तान के साथ मैच खेलना चाहिए, क्योंकि अगर भारत मैच नहीं खेलेगा तो वह दो अंक गंवा देगा। समाचार वेबसाइट ‘क्विन्ट’ ने एक समाचार एजेंसी के हवाले से सचिन तेंडुलकर का बयान छापा है, ‘सचिन ने कहा है कि विश्व कप में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भारत ने हमेशा ही बेहतरीन प्रदर्शन किया है। पाकिस्तान को एक बार फिर हराने का समय आ गया है। मैं व्यक्तिगत तौर पर टूर्नामेंट में पाकिस्तान को दो अंक देने के ख़िलाफ़ हूँ क्योंकि इससे पाकिस्तान को ही फ़ायदा होगा।’
हालाँकि सचिन ने यह भी कहा है कि ‘मेरे लिए भारत सबसे पहले है और जो भी मेरा देश तय करेगा, मैं पूरे दिलो-दिमाग़ से उस फ़ैसले के साथ रहूँगा।’ सचिन तेन्डुलकर का यह कहना काफ़ी मायने रखता है। सचिन का मुक़ाम भारतीय क्रिकेट में सबसे ऊँचा है। क्रिकेट खेलते समय सचिन को देवता की तरह पूजा जाता था और उन्हें क्रिकेट का भगवान कहा जाता था। रिटायर होने के बाद भी उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई। उनके लाखों-करोड़ों फ़ैन्स हैं।
सचिन के बारे में मशहूर है कि वह बहुत ही सोच-समझ कर और नाप-तौल कर बोलते हैं। ऐसे में पाकिस्तान से खेलने की बात को हल्के में नहीं लिया जा सकता है।
सचिन तेंडुलकर से पहले भारतीय क्रिकेट के एक और दिग्गज खिलाड़ी और भारत के पूर्व कप्तान तथा 1983 विश्व कप टीम के सदस्य सुनील गावसकर ने भी लगभग यही बात कही थी। गावसकर ने ‘इंडिया टुडे’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि ‘यदि भारतीय टीम पाकिस्तान के ख़िलाफ़ नहीं खेलती है तो किसकी जीत होगी?’ गावसकर ने आगे कहा है कि ‘मैं सेमीफ़ाइनल और फ़ाइनल की बात तो कर ही नहीं रहा हूँ। जीत पाकिस्तान की होगी क्योंकि उसे आसानी से दो अंक मिल जाएँगे। भारत ने विश्व कप में हर बार पाकिस्तान को हराया है, इसलिए नुक़सान हमारा ही होगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को हरा कर हम उन्हें टूर्नामेंट में आगे बढ़ने से रोक देंगे।’ सचिन का भी यही कहना है कि पाकिस्तान के साथ नहीं खेलने से भारत को ही नुक़सान होगा। ऐसे में पाकिस्तान को यह फ़ायदा क्यों पहुँचने दें। हालाँकि गावसकर ने सचिन के तरीक़े से ही कहा है कि मैं देश के साथ हूँ और सरकार जो भी फ़ैसला करेगी, मैं पूरी तरह उसके साथ रहूँगा।
लेकिन कुछ दूसरे बड़े क्रिकेटर तेंडुलकर और गावसकर की राय से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि भारतीय क्रिकेट टीम को पाकिस्तान के साथ नहीं खेलना चाहिए क्योंकि देश सबसे ऊपर है। तेंडुलकर के सहयोगी और भारत के सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में एक सौरभ गांगुली का मानना है कि पुलवामा हमले के बाद क्रिकेट ही नहीं, पाकिस्तान के साथ दूसरे खेल भी नहीं खेलने चाहिए।
मुहम्मद अज़हरउद्दीन भी पाकिस्तान से क्रिकेट खेलने के पक्ष में नहीं हैं। उनका कहना है कि किसी भी हालत में विश्व कप देश से बड़ा नहीं हो सकता है। उधर अपने ज़माने में अपनी फिरकी गेंदबाज़ी से बड़े-बड़े बल्लेबाज़ों के छक्के छुड़ाने वाले हरभजन सिंह भी तेंडुलकर से सहमत नहीं हैं।
हरभजन ने कहा कि क्रिकेट हमारी पहली प्राथमिकता नहीं हो सकती, देश सबसे ऊपर है। हम आपको बता दें कि लंबे समय से भारत और पाकिस्तान की क्रिकेट टीमें एक-दूसरे से क्रिकेट मैच नहीं खेलती हैं, न ही एक दूसरे की ज़मीन पर भारतीय खिलाड़ियों को खेलने की इजाज़त है। ट्वेंटी-20 क्रिकेट मैचों के टूर्नामेंट आईपीएल की शुरुआत में पाकिस्तानी खिलाड़ी अलग-अलग टीमों के साथ खेला करते थे। लेकिन, बाद में आईपीएल में भी पाकिस्तानी खिलाड़ियों के खेलने पर प्रतिबंध लग गया। उसके बाद से भारत और पाकिस्तान की टीमें सिर्फ़ अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में ही एक-दूसरे से खेलती हैं और वह भी एक-दूसरे की ज़मीन पर नहीं, बल्कि किसी तटस्थ देश की ज़मीन पर। मुंबई हमलों (26/11) के बाद से ही भारत ने पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह की क्रिकेट श्रृंखला से इनकार कर दिया है, हालाँकि पाकिस्तान ने गुज़ारिश की थी दोनों देश किसी तटस्थ देश में एक-दूसरे से मैच खेल सकते हैं, जिसे भारत ने सिरे से ख़ारिज कर दिया था।
भारत-पाकिस्तान के आपसी रिश्तों की वजह से दोनों देशों के बीच क्रिकेट मैच किसी युद्ध से कम नहीं होता। इन मैचों को देखने के लिए पूरी दुनिया की नज़र लगी रहती है। भारत-पाकिस्तान के मैच सबसे ज़्यादा दर्शक आकर्षित करते हैं और टीवी चैनलों की भी सबसे ज़्यादा दिलचस्पी रहती है। आज़ादी के पहले दोनों तरफ के खिलाड़ी एक ही भारतीय टीम से खेलते थे। लेकिन 1948 में पाकिस्तान को एक देश के तौर पर क्रिकेट खेलने की अनुमति मिली और उसने पहला मैच भारत के ही ख़िलाफ़ खेला था। दिल्ली में हुए इस मैच में पाकिस्तान की हार हुई थी। लेकिन, 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद दोनों ने एक दूसरे से खेलना बंद कर दिया था और यह सिलसिला 1978 तक जारी रहा। भारतीय खिलाड़ी पाकिस्तान में काफ़ी लोकप्रिय रहे और भारतीय खिलाड़ियों को भी पाकिस्तान में काफी सराहा जाता है। बड़ी शिद्दत के साथ दोनों टीमों के बीच मैच का इंतजार होता है।
यह सिलसिला 30 साल तक चला। लेकिन मुंबई हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ खेलना बंद कर दिया। बीच-बीच में ये आवाज़ें उठती रहीं कि भारत-पाकिस्तान के बीच आपसी झगड़े के बावजूद दोनों देशों को क्रिकेट खेलना चाहिए। अब पुलवामा हमले के बाद यह बहस फिर गरम हो गई है कि भारत को पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह के किसी टूर्नामेंट में कोई मैच नहीं खेलना चाहिए। जून के महीने में एक दिवसीय विश्व कप टूर्नामेंट होना है और भारतीय टीम की जो मौजूदा तैयारी है, उसे देखते हुए यह कहा जा रहा है कि भारत टूर्नामेंट जीत सकता है। विराट कोहली के नेतृत्व वाली टीम एक शानदार टीम है, जिसमें रोहित शर्मा, शिखर धवन जैसे ख़तरनाक बल्लेबाज़ हैं तो जसप्रीत बुमराह, भुवनेश्वर कुमार जैसे घातक गेंदबाज़ भी हैं। विराट कोहली को इस वक़्त दुनिया का सबसे बेहतरीन बल्लेबाज़ कहा जाता है। उनकी कप्तानी में भारत इस वक़्त एकदिवसीय क्रिकेट में इंग्लैंड के बाद नंबर दो की टीम मानी जाती है। अगर भारत पाकिस्तान से क्रिकेट नहीं खेलने का फ़ैसला करता है तो विश्व कप जीतने के उसके मन्सूबे पर पानी फिर सकता है। लेकिन जब सवाल देश और क्रिकेट में चुनना हो तो फ़ैसला करना मुश्किल नहीं होता है।
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