क्या आज का यह नया विमर्श केवल सुविधाभोगी और ग़ुलामी का आनंद लेती महिलाओं के लिए है जो फैशनेबल कपड़ों से होता हुआ सैनिटरी नैपकिन पर विश्रमित हो बैठता है?
नसीर को डर तब लगने लगा जब तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए। नसीर, बुलंदशहर हिंसा को, एक क्रूरतम अपराध की घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं।
बॉलिवुड के जाने-माने कलाकार नसीरुद्दीन शाह को देश के मौजूदा हालात पर गुस्सा आता है जहाँ एक गाय की मौत को ज़्यादा अहमियत दी जाती है एक पुलिसवाले की मौत से।
जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल कैलाश विजयवर्गीय ने सोनिया गाँधी के लिए किया है, उससे यही सवाल खड़ा होता है कि उनके जैसे लोग क्या हिंदू संस्कारों को समझते भी हैं?
डॉ. अांबेडकर के नाम पर राजनीति करने वालों को इतना तो मालूम है कि बाबासाहेब जाति व्यवस्था के ख़िलाफ़ थे लेकिन बाक़ी चीजों पर ज़्यादातर लोग अन्धकार में हैं।