बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने शुक्रवार को दावा किया है कि मध्य प्रदेश के खरगोन में राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पाकिस्तान समर्थित नारे लगाए गए थे। हालाँकि, मालवीय ने जो वीडियो ट्वीट किया है उसमें वो नारा सही से सुनाई नहीं देता है और उस वीडियो की पुष्टि नहीं की जा सकी है। कांग्रेस ने दावा किया है कि उस वीडियो से छेड़छाड़ की गई है और पार्टी क़ानूनी कार्रवाई करेगी।
एस वीडियो को साझा करते हुए मालवीय ने ट्विटर पर लिखा, "राहुल गांधी की भारत 'जोड़ो' यात्रा में शामिल होने के लिए ऋचा चड्ढा के सार्वजनिक आवेदन के बाद खरगोन में पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगे। कांग्रेस एमपी ने वीडियो पोस्ट किया और फिर ग़लती सामने आने के बाद इसे हटा दिया।'
After Richa Chaddha’s public application to join Rahul Gandhi’s Bharat “Jodo” Yatra, “Pakistan Zindabad” (listen towards the end of the video) slogans raised in Khargon.
— Amit Malviya (@amitmalviya) November 25, 2022
INC MP posted the video and then deleted it after the faux pas came to light.
This is Congress’s truth… pic.twitter.com/ZkVEkd4pCf
भारत जोड़ो यात्रा में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगना, यह भारत जोड़ना है या भारत को तोड़ने वालों को साथ जोड़ना है। पहले भी भारत तोड़ा है, क्या फिर भारत तोड़ने का इरादा है?
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) November 25, 2022
पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले किसी भी कीमत पर बचेंगे नहीं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी।
इन आरोपों का जवाब देते हुए कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि भारत जोड़ो यात्रा को बदनाम करने के लिए वीडियो से छेड़छाड़ कर वीडियो प्रसारित किया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि इसकी क़ीमत चुकानी पड़ेगी।
जयराम रमेश ने ट्वीट में कहा, 'हम तत्काल ज़रूरी क़ानूनी कार्रवाई कर रहे हैं। हम इस तरह की रणनीति के लिए तैयार हैं और इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।'
A video doctored by the Dirty Tricks Department of the BJP is doing the rounds to discredit the highly successful #BharatJodoYatra. We are taking the necessary legal action immediately. We are prepared for such tactics, and there will be payback.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) November 25, 2022
समझा जाता है कि यात्रा 380 किमी की दूरी तय करने के बाद 4 दिसंबर को मध्य प्रदेश से राजस्थान में प्रवेश करेगी।
वैसे, अमित मालवीय को कई बार सोशल मीडिया पर फ़ेक न्यूज़ या फोटो शेयर करने के लिए आलोचना की जाती रही है। दो साल पहले तो ट्विटर ने ही उनके द्वारा ट्वीट की गई एक तसवीर पर 'मैनिपुलेटेड मीडिया' लिख दिया था। इसका मतलब था कि ट्विटर ने मान लिया था कि उस तसवीर के साथ छेड़छाड़ की गई थी।
उससे पहले भी अमित मालवीय के कई ट्वीट को फ़ैक्ट चेक करने वाली वेबसाइट 'ऑल्ट न्यूज़', 'न्यूज़लाउंड्री इन्वेस्टिगेशन' और दूसरी वेबसाइटें कई बार मालवीय की पोस्ट को फ़ेक बता चुकी हैं।
अमित मालवीय ने कई बार बिना किसी आधार के ही या बिना जाँच पड़ताल किए सोशल मीडिया पर वीडियो या मैसेज शेयर किए हैं। 2020 में 15 जनवरी को मालवीय ने नागरकिता क़ानून के ख़िलाफ़ शाहीन बाग़ में प्रदर्शन कर रहे लोगों के बारे में दावा किया था कि वे पैसे लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। 'ऑल्ट न्यूज़', 'न्यूज़लाउंड्री इन्वेस्टिगेशन' ने इन आरोपों को निराधार बताया था।
2019 में 28 दिसंबर को मालवीय ने लखनऊ में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया था कि वे 'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' के नारे लगा रहे थे।
Since this is a season of pulling out old videos, here is one from Lucknow where anti-CAA protestors can be seen raising ‘Pakistan Zindabad’ slogans... Damn! Someone needs to have a samvaad with them and ask them to carry tricolour and Bapu’s picture for the cameras next time... pic.twitter.com/Lvg7sj2G9Z
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 28, 2019
AMU students are chanting ‘हिंदुओ की कब्र खुदेगी, AMU की धरती पर...’
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 15, 2019
Chaps at Jamia want ‘हिंदुओं से आज़ादी...’
If this is the mindset that pervades in these ‘minority’ institutions, imagine the plight of Hindus and other minorities in Pakistan, Bangladesh and Afghanistan... pic.twitter.com/VRNeOyhaHY
लेकिन सचाई इससे अलग थी। वास्तव में छात्र हिंदुत्व, सावरकार, बीजेपी, ब्राह्मणवाद और जातिवाद के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी कर रहे थे। वे वीडियो में कहते हैं, 'हिंदुत्व की कब्र खुदेगी, एएमयू की छाती पर..., सावरकर की कब्र खुदेगी, एएमयू की छाती पर..., ये बीजेपी की कब्र खुदेगी, एएमयू की छाती पर..., ब्राह्मणवाद की कब्र खुदेगी, एएमयू की छाती पर..., ये जातीवाद की कब्र....।'
'द वायर' की आरफ़ा ख़ानम के अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में दिए संबोधन के वीडियो को अमित मालवीय ने 26 जनवरी को शेयर किया था। इसमें उन्होंने दावा किया था कि आरफ़ा एक इसलामिक समाज की स्थापना को बढ़ावा दे रही थीं और प्रदर्शनकारियों से आग्रह कर रही थीं कि जब तक ऐसे समाज का निर्माण नहीं हो जाता तब तक ग़ैर-मुसलिमों को समर्थन करने का ढोंग करना चाहिए।
The Islamists want CAA protests to be ‘inclusive’ only till the time you, the non Muslims, start accepting their religious identity, beliefs and supremacist slogans as gospel... Long live the dream of ‘Ghazwae-Hind’! pic.twitter.com/va564eghL8
— Amit Malviya (@amitmalviya) January 26, 2020
'स्क्रॉल डॉट इन' ने लिखा है कि आरफ़ा का कहने का मतलब इसके उलट था- उन्होंने लोगों से आग्रह किया था कि वे धार्मिक नारों का उपयोग न करें और इस आंदोलन के धर्मनिरपेक्ष रूप को बरकरार रखें।
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